मैं शतरंज का मंझा हुआ एक खिलाड़ी,
मोहब्बत की जंग एक हसीना से हार आया हूँ..!-
वो बस रूठती रूठती रूठती ही रहती है
मैं बस मनाता मनाता मनाता ही रहता हूँ
वो हर चाल पर एक और चाल चल देती है
मैं अनाड़ी खिलाड़ी दिल हारता ही रहता हूँ
- साकेत गर्ग 'सागा'-
उसने पूछा कि "कौन हो आप?"
मैने कहा कि "आपको पता नहीं?"
उसने फिर कहा कि "या तो आप सबसे ज्यादा 'अच्छे' हो या सबसे ज्यादा 'मूर्ख' हो"
मैंने मुस्करा कर कहा कि " मैं वो 'खिलाड़ी' हूँ जो अपनी मर्जी से 'हारता' हूँ
और अपनी मर्जी से 'जीतता' हूँ"
और सबसे ज्यादा खास बात मैं अपनी ही मर्जी से 'खेलता' हूँ..
और जो मुझे 'मूर्ख' समझें उनका तहेदिल से शुक्रिया क्योंकि ऐसे महान लोगों को मैं हर दिन चेहरे पर मुस्कुराहट के साथ झेलता हैं"...-
ये कौन जानता था कि चरित्र उनका दोहरा था
वो थे एक खिलाड़ी और मैं सिर्फ एक मोहरा था
देख न सके हम अपने आस्तीन के साँपों को
अँधेरा नहीं था मगर वहाँ घना कोहरा था-
वो कहता था रानी बनाऊँगा
जानती न थी कि वो शतरंज का खिलाड़ी है।-
मैं अनुभवी खिलाड़ियों के साथ खेलना पसंद करता हूँ।
एक तो हारने का दुःख कम होता है,
दूसरा जीतने पर ज्यादा खुशी।
तीसरा उनके अनुभव से भी सीखने को मिलता है।-
मैं तन्हाई में कभी सोंचता हूँ....
कुछ लोग खिलाड़ी ना होते हुये भी....
दिलों से कैसे खेल जाते हैं ??
🤔😟🤔-
अब न पैसों की टूटे लड़ी,
दे दो चन्दा घड़ी-दो-घड़ी।
हैं ये छोटे खिलाड़ी नहीं,
स्विस बैंकों में पूँजी खड़ी।
हैं सभी बाँटने पर तुले,
देश की अब है किसको पड़ी।
बस तिजोरी है भरनी इन्हें,
कम्पनी काले धन की बड़ी।
भर गया है घड़ा पाप का,
अब लगेगी इन्हें हथकड़ी।-