खामोशियो को पढ़ने वालो को
किताबों की जरुरत नहीं होती,
और हाँ एहसास कभी किताबों मे नहीं मिला करते,
उन्हें पढ़ने के लिए खामोशियाँ जरुरी है।-
ये शोर मे दबी चींखें
ये खामोशियों मे चिल्लाती बेजुबानी,
अपने आप को
रावणराज्य के बिभीषन बतलाते हैं!-
सही और गलत के पैमाने में
न मापे जाएं,
इसलिए
खामोश हैं कुछ रिश्ते
जिनमें सुगबुगाहट है,कुछ खट्टे-मीठे
एहसासों की...!!!
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कई बार हमारी
ख़ामोशियां वो बयां कर देती है...
जो हम
शब्दों से बयां नहीं कर पाते....-
अपनी चुप्पी में ना जाने,,
क्या क्या खो देंगे आप।
गर में आप जैसी हो गई,,
तो बहुत रो देंगे आप।।-
मैं चाहता तो बतला देता गुजरी आपबीती मगर
मुझसे खामोशियों का दरवाज़ा तोड़ा नही गया;-
आवाज़ अख़रने लगा हैं हमारी
तुम्हें खुसी हैं ख़ामोश रहने में तो
तुम्हें तोहफ़े में खामोशियां दूँगा..!-
खुद से ज्यादा,
तुम्हे जानता हूं,
तुमसे ज्यादा,
तुम्हे जानता हूं,
शायद,
इसी वजह से,
खामोशी से,
याराना हो गया.....-