Sakshi jangra  
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Joined 9 August 2020


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Joined 9 August 2020
4 NOV 2022 AT 23:01

मेरे बालों का तेरी शर्ट में उलझना
यू कोई इंतेफाक तो नही
अगर इंतेफ़ाक है भी
तो मूझे उन उलझनों में हर शाम उलझना है**

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13 OCT 2022 AT 12:29

वक्त है तुम्हारे पास भी, वक्त है मेरे पास भी
बस फर्क इतना है
मेरा वक्त तुम्हारी और, तुम्हारा वक्त कहीं और!!!

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12 JUN 2022 AT 9:12

कभी अकेले रहना अच्छा लगता था
अभी तो उनकी बकबक पे भी प्यार आता है..*

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28 JAN 2022 AT 23:50

किसी को कुछ फर्क नहीं पड़ता
किसी के होने या न होने से
सबका सूरज और चांद
इक साथ ही निकलते हैं

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29 NOV 2021 AT 15:04

इक दिन मिट्टी में मिलना है
तो क्यों ना
मिट्टी के touch में रहना शुरू किया जाए..*

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5 NOV 2021 AT 21:14

अक्सर सड़कें खाली रह जाती हैं
भारी ट्रैफिक के बाद..

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11 SEP 2021 AT 13:16

मेरे लिए भी कुछ लिख दो ना
सुना है तेरे अल्फाजों में अलग ही सुकून है

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18 JUL 2021 AT 21:26

दूसरों के बारे में क्या लिखूं सजना
मेरे शब्द तो खुद की तारीफ में ही काम पड़ जाते हैं

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21 FEB 2021 AT 20:55

औरतें कोई *ब्रेल लिपि* में नहीं छपती
जिसे समझने के लिए छूने की ज़रूरत पड़े...!!

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18 AUG 2021 AT 21:08

गौर फरमाना इन लफ्जों पे
कहीं ना कहीं तुम ही नज़र आओगे

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