हम क्यों ठगे जाते है कभी मूड के नाम पर
तो कभी suit के नाम पर
मेरे कपड़े तो छोटे नहीं थे पर तेरी सोच छोटी हो गई
नैतिकता के नाम पर क्यों ये बच्ची बली हो गई
मेरा तो बेटा था छोटा था कुछ दिन काका साथ छोड़ा था जब वापस आयी हूँ,
ना बोलता है ना सुनता है हर आहट पर डर जाता है
मुस्कुराहट चिंघार कैसे बन गई,
काका तुमने कौन सी जन्नत पा ली,
ठीक है आज तुम घर नहीं आओगे कुछ काम में हो फसे पड़े, ये information तुम्हारे दोस्त तक कैसे पहुंच गई,
हाँ अब तो बूढ़ी हो गई हूँ शरीर का हर हिस्सा झूल चूका है मेरा, पर ना जाने तुमने कौन सी नजर पाई है,
बस इतना बता दो इन सब से तुमने.......क्या जन्नत पाई..... S🤐
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