ऐसी कोई साज़िश
कभी कुदरत हमारे
लिए भी करदे,
कसम खुदा की,
ये मौका हम किसी
कीमत पर ना छोड़ेंगे।-
ये कुदरत की कारीगरी है या ख़ुदा की इनायत,
रंग सोने सा है मेरी मेहनत का और हाथ मैले हैं !-
लिखी तहरीर रब ने, हमें हाजिर-नाज़िर मान कर,
पर शर्त अता की, कि ढूंढना होगा एक दूसरे को!
कुछ थी कुदरत की इनायत, कुछ तिलिस्मी इशारे,
सहारे जिसके, पहचाना था एक नजर में तुमको!
जिस्म एक न हो सके, कोई गम नही रती भर भी,
रूह को पनाह मिले, जिस पे फ़ना होना हम को!
हैं दूर, बहुत दूर, भले ही मिले या ना मिले कभी,
हमसाया है एक दूसरे के, यह इल्म रहे तुमको!
कुछ है बातें अधूरी, कुछ कहना है बाकी अभी,
लिख के दूंगा सब खत में, मिले पैगाम तुमको!
मिलेंगे एक बार, चाहे आखरी हिचकी से पहले,
हो मोहब्बत मुकम्मल, तो आखरी सलाम तुमको!-
तू नाराज तो है अपने इंसानों से भगवान
नहीं तो मंदिरों के दरवाजे बंद ना करता |
सजा दे रहा है कुदरत से खिलबाड़ की
नहीं तो गुरुद्वारों से लंगर कभी ना उठता |
कल उन बारिश की बूंदों से संदेश मिला
रोता तो तू भी है, जब इंसान आंसू बहाता |
माफ कर दे अपने बच्चों के हर गुनाह
सब कहते हैं, तेरी मर्जी के बिना तो पत्ता
भी नहीं हिलता !!..... 🙏🙏-
गमों का पुलिंदा हैं, तो कभी खुशीयों का धंधा हैं
करके हरकते शर्मनाक यहाँ हर कोई शर्मिदा हैं!
भूल गया इसांन उस खुदा का ही सब एक बंदा हैं!
ओंढे बदन पर सब वस्र अंदर से हर कोई नंगा हैं!
ऊंचा दिखाकर खुद को, मैल मन में छुपाकर
बताते ज़माने को ये, यहां हर आदमी गन्दा है!
आसमां में उड़ान भर सका जो भी परींदा
बस वहीं तो हैं जो मर कर भी जिंदा है!
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गुनाह तो कुछ घिनोने हुये हैं जनाब कुदरत के साथ,
वरना गंगाजल की जगह शराब से हाथ ना धोने पडते!-
इस दुनिया का सनाटा बता रहा है
कि हम इंसानों ने कुदरत के साथ
कितना खिलबाड़ किया है !!.....-
दशकों पहले जिसको सोचा, वो कोई अनजानी थी,
दरबदर मैं रहा भटकता, जर्रा जर्रा की तलाशी थी!
सावन रीते, बारिश बरसी, कितने पतझड़ गुजर गए,
वो ही एक नही मिली, जो मेरे मन की कल्पना थी!
पल पल बीते, बीते सालों, उम्मीद धूमिल होने लगी,
पर दिल बोला कि सब्र रख, वो यंही कंही होनी थी!
आँखे धुँधली हो रही, उम्र का तकाजा जब होने लगा,
सूरज हुआ मंदम-मंदम, पर उम्मीद फिर भी कायम थी!
हुआ फिर कुदरत का इशारा, धड़कन यूँ बढ़ने लगी
मैं अकेला नही इस जहां में, वो भी एक अकेली थी!
वो तारीख मुझे याद नही, पर तारीख बन के वो आई,
वो कर रही मेरा इंतजार, जिससे खुद अनभिज्ञ थी!
मिला जब मैं उससे पहली दफा, खुद को न इल्म हुआ,
पर हुआ जब इक़रार तो, पलकों में मोती भरती थी!
भले हम दूर हो या पास हो, पर एक दूजे के हिस्से हैं,
कुछ निशानी कुछ कहानी, अमरप्रेम की हम हस्ती थी!
___Mr Kashish-
खबर न थी की कभी मोहब्बत के सफर से मुझे भी गुजरना पड़ेगा...
क्या खूब कुदरत का करिश्मा हुआ,,एक नजर में ही अपना बना लिया...❤......❤-
कडी धुप का है आलम, लम्बा अभी सफ़र है
हर जानिब है सन्नाटा, हर सिम्त खौफ़-डर है
कितना उदास, कितना गमगीन लगता हर बशर है
चाँद पे चलने वाला,मजबूर किस कदर है
घर मे रिज्को-खैर से हो, उनका फ़िक्र करो
है भुखे,जो है बेबस और, वो जो बे घर है
खफ़ा जब कुदरत हो जाये,बरसाती वो कहर है
ये खेत, ये खलिहान उजड़ जाने का भी डर है
गुनाह जब हद से बढ जाये, होता ये अक्सर है
दवा भी काम ना करती,दुआ भी बे-असर है
जीने का बस यही हौसला, यकिन इस कदर है
महफ़ुज वो रखेगा,उसकि हम पर भी नजर है-