किसानों तुम कितनी भी "फसलें" उगा लो
हमारे देश कि सत्ता उसे "चर" जाएगी...!!-
कितने गरीब होते हैं वे लोग .. जो सिर्फ जायदाद रखा करते हैं ...😏😏
-
आया ही था खयाल कि आँखें छलक पड़ीं
आँसू किसी की याद के कितने करीब हैं-
बग़ावत जो कर दें किसी रोज़ दर ओ दीवारें
मत पूछिए जमीं आसमां भी न रह जाएंगे हमारे.
प्रीति-
और क्या बात बताऊँ अपनी अच्छाई की,
मुझे छोड़कर सभी गवाही देते है तेरी बेवफ़ाई की...!-
कैसे 💦करूँ मैं💝 तुम्हारी यादों 💗की गिनती.💞💞
साँसों 💔का भी कोई 👨💻हिसाब रखता हैं क्या..-
कुछ कहने का उत्साह,
कुछ न कह पाने की निराशा,
निर्वात और खालीपन,
लाचारगी और अफसोस,
न जाने कितने रंग हैं,
अनदेखे से,
मेरे और तुम्हारे बीच,
क्या कहूं क्या न कहूं,
हैरान हूं मैं,
क्योंकि मेरे पास नया कुछ भी नहीं है,
और तुम निरंतर ही,
नये संबंधों की इबारत लिखने को उत्सुक हो,
उसी करीने से जिस तरह,
कभी मेरे साथ,
संबंधों को निभाने का वादा किया था,
पर वादे तो टूटते ही हैं,
बहुत कुछ कहने की इच्छा है,
कई अव्यक्त इच्छाएं अभी शेष हैं,
लेकिन अभी,
तो मेरा मौन ही,
हमारे संबंधों की अस्मिता को,
संभालेगा,
इसलिये मैं मौन हूं ।
सिद्धार्थ मिश्र-