जितना हो सामर्थ्य आपना सबकी करते मदद जाना है
खाली हाथ आये है खाली हाथ जाना है
जाने पर लोग याद करें ऐसा ही कुछ कर जाना है
जिंदगी मिली है चार दिन की इसको नहीं भुलाना है
अपने इस अनमोल जीवन को हमें सार्थक बनाना है-
जब मन मेरा उदास हुआ हर क्षण कान्हा से सहारा लिया
उम्मीद कुछ भी नहीं पर मुरली वाले ने जीना सिखा दिया
हर मुश्किल घड़ी को मैंने कान्हा के सहारे ही जिया
उम्मीद कुछ भी नहीं पर मुरली वाले ने अपने आप से मिला दिया-
जब कोई बात बिगड़ जाए फिर प्रेम से यूँ उसे समझाये
ताकि बिगडी़ बात यूँ बन जाये रिश्ते टूटने से फिर बच जाये-
कोई रश्म बाकी न रही अब हमें निभाने की
बताओ क्या करे उपाय हे गोविन्द तुझे पाने की-
दृढ विश्र्वास जगाओ इतना सब अंधकार मिट जायेगा
उम्मीद की रोशनी लेकर सपनों को साकार बनायेगा-
यूँ ही नहीं गूंजती घर के आंगन में
खुशियाँ कोने में
माँ को कितने दर्द सहने पड़ते हैं
माँ को मां होने में
माँ अपनी सारी खुशियाँ न्योछावर करती है
बच्चों का भविष्य सवारने में
बच्चे बड़े होकर नयी दिशा पकड़ते है
तो भूल जाते हैं माँ पड़ी है घर के किसी कोने में
कितने दर्द सहने पड़ते हैं माँ को मां होने में
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गुमनाम के अंधेरे में खोना नहीं अच्छा
गिरेगे उठेंगे फिर बढेंगे सोना नहीं अच्छा
कुछ कर दिखायेगे रुकना नहीं अच्छा
गुमनाम को जो नाम मिला वो होगा बड़ा अच्छा-
मंजिल है अगर मालूम तो कदम रोकना कैसा
हौसला है अगर बुलन्द तो विश्राम करना कैसा
बढ़ते रहे कदम तो फिर ये बढ़ते ही जायेगे
मंजिल पर ही पहुँच कर ये विश्राम पायेंगे-
दर्द जो सिमटे से है तुम चीख़ लो चिल्ला लो
सिर्फ एक बार ही सही खुलकर जरा मुस्कुरा तो लो
हर किसी की जिंदगी में गम को थोड़ा देख लो
अपना गम फिर कम लगेगा ये भी जरा सोच लो
कभी खुशी कभी गम भरी है जिन्दगी तुम सोच लो
आंसुओं को मत छुपाओं खुलकर इक बार रो तो लो
गम सारे भूल जाओगे खुल के मुस्कुरा तो लो-