कि इश्क एक ही जात में हो जरूरी है क्या
वो राज़ी हर एक बात में हो जरूरी है क्या
हम दिल दे बैठे जिस मौसम में वो पतझड़ का था
अरे मोहब्बत बस बरसात में हो जरूरी है क्या-
तेरी सादगी तेरी सीरत पर फिदा,
तेरी सूरत देखे बिना ही इश्क़ हुआ...
तूने मज़ाक बना लिया अरमानों का,
कि होगा कोई आवारा गलियों का।।।।
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चमक सूरज की नहीं मेरे किरदार की है,
खबर ये आसमा के अखबार की है,
मैं चलूं तो मेरे संग कारवां चले,
बात गुरूर कि नहीं मेरे एतबार की है,,-
इतना बुरा न समझो ख़ुद को
कि हर बात बुरी लग जाये
इतना भी न हाँ मिलाओ
कि जी हजूरी लग जाये
इतना भी न मिलो तुम मुझसे
कि मिलना जरूरी लग जाये
टटोलो न मेरे अधूरेपन को
कि तुम हो अधूरी लग जाये-
इतिहास गवाह है बताने कि जरूरत नही कि
लड़कियाँ लड़को से कमजोर नही होती.!
लेकिन ये कह कह कर के कि लड़कियाँ
लड़को से कमजोर नही होती उन्हे कमजोर
बना दिया जाता है..!! कि ये दोष उनका नही...!!!
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वो मेरे ही बेजान जवाबों से मेरा सवाल ले रहा है
अरे ,कोई छीनो रे, कलम इससे, साला जान ले रहा है-
हाल- ऎ -दिल बदनामी का कोई हमसे आ कर पुछे,
जो बेवजह लोग कर दिया करते हैं-
हर शब्द तुझ पर लिखूं
हर गीत तेरे पर गुन गुनाऊ
हर पल तेरा सोचूं
हर ख्बाव में तुझे पाऊं
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इंसान सोचता है कि उसे कोई नहीं देखता
पर क्या खुद को देखता है वो कभी भी नहीं
इंसान सोचता है जरुर कि वो सब से
अच्छा है दुनिया में
पर क्या खुद को देखता है कभी भी
एक नज़र आईने वो नहीं
इंसान सोचता है बहुत कुछ
पर क्या खुद से करता है कुछ भी नहीं
इंसान सोचता है बस
और सोचता ही रहता है
ख्वाबों की दुनिया में और हक़ीक़त में तो
वो छुपा रहता है खुद से ही
ना जाने कहां खोया रहता है
इंसान सोचता है कि उसे कोई नहीं देखता
पर सारी दुनिया की नज़र
उसी पर रहती है जो शायद
ये ही सोचता है कि
उसे कोई नहीं देखता है-