कभी कभी ना मिलना
मिलने से ज्यादा खास बना देता है
एक रिश्ते को-
क्या अभी भी तुम हाथ पकड़ने से घबराती हो
क्या अभी भी तुम कसमें खाकर तोड़़ देती हो
क्या अभी भी तुम हाफ बन बालों को बनाती हों
क्या अभी भी तुम लाल नेल पोलिश लगातीं हों !!-
कंधों के आगे से मैंने उसकी बालों को हटाकर,
कानों के पीछे फंसाया और माथा चूमते हुए
अपने नाक को उसके नाक पर रख दिया
तब मुझे नहीं पता था वो खुशबू
मेरी मौत बनकर मेरे साथ चलेगी, जिंदगी भर ,
यहां तक कि मेरे मौत के समय भी
तुम मेरी पलकों के ठिक आगे आकर बैठ जाओगी,
मैं मुस्कुरा उठूंगा, एक छोटे बच्चे कि तरह ,
ठीक जैसे बचपन में लाल पीले रंगों को देखकर उछलता था
और फिर तुम्हारे हाथों के लकीरों कि
उंगलियां थामें मैं चल दूंगा , तुम्हारी ओर , हां तुम्हारी ओर मेरी मौत !!
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दुनिया के तहखाने में एक मौत का मेला लगता हैं
आंसू ही आंसू बहते हैं सावन गालों पर होता हैं
नींद में सोता नहीं वो रातों में सुनसान निकलता हैं
कुर्सी के परछाईं में वो हंसते हुए झूला झूलता हैं
हारा हुआ वो क्या करे , किस्मत का मारा वो क्या करे
सब अच्छा करते करते अच्छों अच्छों से मरता हैं
दफ़न कर के होंठों कि बातें दिल के कब्रिस्तान में
वो अब हंसने के नाम पे सिर्फ smileya भेजा करता हैं
दुनिया के तहखाने में एक मौत का मेला लगता हैं
आंसू ही आंसू बहते हैं सावन गालों पर होता हैं-
रेशमी ये बाल तुम्हारे
चाबुक ये आंख तुम्हारे
किस किस कि बात करूं
काया हैं सैलाब तुम्हारे
नागिन सी हैं कमर तुम्हारी
दिलकशी ये नजर तुम्हारी
होंठ ये हैं अंगार तुम्हारे
पायल हैं झंकार तुम्हारे
दिलकश हैं दिलनशीं हैं
चाशनी हैं आवाज तुम्हारे
कैसे कैसे अब मैं संभलू
बिजली हैं अंदाज तुम्हारे-
खुशबुओं कि ओट में
खुशबुएं महकती रहीं
चांद मेरा थम गया
पर चांदनी सरकरती रहीं
जाओ जाकर छीन लो
या जाकर तुम मांग लो
सांस तो थम गयी थी, फिर
धड़कन क्यों धड़कती रही
एक पगला सरफिरा लड़का
छोड़ आया कि फिर लौट न पाया
जिंदगी जिसकी घूंघट
मूंह दिखा दिखा ओढ़ती रहीं
चांद जिसका थम गया
चांदनी फिर भी सरकती रहीं
खुशबुओं कि ओट में
खुशबुएं महकती रहीं-
कभी हंस कर , कभी गा कर कभी इठला कर कहता हूं जन्मदिन मुबारक
मै जातें जातें पलटकर कहता हूं तुमको जन्मदिन मुबारक
आज आसमां में ये चांद ये तारों का कुछ भी वजूद नहीं
मै उन सब को आज भूला कर कहता हूं जन्मदिन मुबारक
इस अंधेरे में जो जल रहा मेरा चिराग सिर्फ तुमसे है
तुम्हारी चेहरे के सामने ये चिराग उठाकर कहता हूं जन्मदिन मुबारक
ये दुरियां कितनी भी सीलन भरी क्यों न हो
फिर भी मै पर्वतों मे चिल्ला कर कहता हूं जन्मदिन मुबारक
भगवान करें तुमको वो सब मिलें जो तुम चाहों
मै तुम्हारी आंखों में देख मुस्कुरा कर कहता हूं जन्मदिन मुबारक
कभी हंस कर , कभी गा कर कभी इठला कर कहता हूं जन्मदिन मुबारक
मै जातें जातें पलटकर कहता हूं तुमको जन्मदिन मुबारक-