कामचोर
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कामचोर सड़ सड़ मरता हैं, जीवन जाता है बेकार।
मन का सब मन में जाता है, मरता है जब हाथ पसार।।
कामचोर का भाग्य न बदले, और दु:ख पाता दिन रात।
तानें खाकर के पेट भरे, होती लातों की औकात।।
कहे निर्लज्ज दुनिया उसको, हर कोई करता अपमान।
आँखो में सबकी वह चुभता, पैरों में पाता फिर स्थान।।
कामचोर हो जो चोर बने, कुल को करता वह बदनाम।
खोटी नीयत से खोट करे, कर करके फिर खोटे काम।।
विनाश को खुद गले लगाकर, उजाड़े स्वयं अपना घर-बाग।
मात-पिता का नाम निकाले, लगाकर वंश को वह दाग।।
चोरी से बुरी काम चोरी, हैं बुरे सबसे कामचोर।
हाँ नजर सब इन पर राखिए, कब कर बैठे काम घोर।।
@ गोपाल 'सौम्य सरल'
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19 MAY 2022 AT 18:27
24 OCT 2021 AT 16:46
कामचोरी से बनाई किस्मत है ये,
हाथों की लकीरों में ही बस मंज़िल ढूंढते रह गए ।-
16 JAN 2021 AT 5:36
की नौकरी के नाम पर
उन्हें आराम चाहिए था
और
ज़रा जुर्रत देखो उनकी
इस बात का भी
उन्हें ऊंचा दाम चाहिए था!!-
7 JUN 2021 AT 20:03
यूँ छुप-छुप कर, डर-डर कर,
ज़िंदगी बसर न कर,
जीवन एक अमृत है,
बुज़दिली से ज़हर न कर।-