श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना और उनके योगदान को सम्मानित करना हमारा कर्तव्य है।
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आप सभी को नववर्ष की सस्नेह हार्दिक शुभकामनायें आप सपरिवार स्वस्थ एवं प्रसन्न रहे
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सम्यक संस्कार -आहार -विहार -विचार के अभाव में हिंसक प्रवृत्ति की संभावना बढ़ जाती है
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पूर्ण शरणागति (ईश्वर प्रणिधान) के अभाव में पूर्ण सुख की कल्पना व्यर्थ है
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माफ करने की प्रवृत्ति से सर्वप्रथम स्वयं का ही कल्याण होता है, अन्यथा.....
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मानव जीवन में ही सद्गति, मोक्ष, कैवल्य, निर्वाण आदि के अवसर प्राप्त होते हैं, क्षणिक मिथ्या सुख की तृष्णा में हम हाथ आए इस शुभ अवसर को खोकर जन्म जन्मान्तरो की दुःखद यात्रा को प्राप्त होते हैं
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साधनाओं द्वारा अर्जित एवं संचित ऊर्जा की ऊर्द्धगति अकुशल विचारों द्वारा अधोगति को प्राप्त होती है
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इंद्रियों की प्रवृत्ति है सुख की चाहत, यह सुख अल्पकालीन है, इस प्रकार के सुख से दीर्घकालीन दुख की संभावना बढ़ जाती है,अतः आंतरिक सुख एवं शांति के लिए भौतिक सुखों के साधन होते हुए भी उनमें आसक्ति होने से बचे
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