कमरे में होती थी मोहब्बत कभी
अब कैमरे पर होती है
देखिए
एक ही मात्रा से
कैसे पीढियां बदलती हैं!!!-
पहले कबूतरों से हुई मोहब्बत
फिर आई खतों की बारी
फिर ये बीड़ा खेतों ने उठाया
कमरों ने फिर ललकार मारी
अब कैमरे ने दिखाया कमाल अपना
नंगी करदी मोहब्बत सारी!!!
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यही खासियत है एक छोटी सी हम में
किसी दूसरे की
औरत को हाथ
और
शायरी को
मुंह नही लगाते हैं
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हर बार ऐसे ही मरते मरते बचा हूं मैं
इन आंखों में आसूं लेके कई बार हसा हूं मैं
फैसला फिर से हुआ सब खत्म करने का
मां बाप की खुशी की खातिर इस जंजाल में फिर से फसा हूं मैं!!
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थप्पड़ों से ज़्यादा तेज़ लगती है खामोशी
थप्पड़ों से ज़्यादा तेज़ लगती है खामोशी
आज़माना हो
तो देखना
मुशायरों में सड़ा हुआ सा शेर बोल कर कोई-
मैं तो मर गया था
उसके छोड़ के जाने पर ही
इस नशे से तो मैं अब
उसे मार रहा हूं
की जिन कोनो में बची थी उसकी यादें
मेरे खाली गिलास ए दिल में
मैं शराब डालकर उसमें
उन यादों को निकाल रहा हूं!!
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की मोहब्बत में अब वो नशा कहाँ
तो हमने नशे से ही मोहब्बत कर ली
कहते हैं लोग
तूने बर्बाद कर दिया उसको
जी नहीं
मैने अपनी दुनिया आबाद कर ली!!
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शराबें बदलती रही
मगर गम वही था
आंखें बदलती रही
मगर नम वही था
मैं रुक जाता उस एक श्क्स की बाहों में
जो कह देता "मैं गलत और तू सही था"
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