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खुद का ज़िक्र किया तो लोग हसने लगे
दर्द बयां किया तो भी लोग हसने लगे
पर मैं भी चुप ना हुआ बोलता रहा , बोलता रहा
अचानक से एक सन्नाटा सा छा गया महफ़िल में
सब सुनने लगे गौर से मुझे
आंसु निकलने लगे आंखों से
जो कुछ वक़्त पहले ही हस रहे थे
शायद मेरे दर्द ने उन्हें खुद का हाल बता दिया हो
या पुराना जहन में कोई सवाल ला दिया हो
मैं फिर भी चुप ना हुआ बोलता रहा
लोग सुनते रहे सुबह से शाम हो आ ली पर
मैं चुप ना हो सका दर्द हज़ार थे वक़्त तो लगना था
थोड़े वक़्त बाद बोलते बोलते धीरे से में चुप हो गया
सबकी नजरें अभी भी मुझे में ही टिकी थी
पर मैं कुछ हल्का महसूस कर रहा था
जैसा पहले कभी नहीं हुआ वैसा
लगा दिल से किसी ने ईंट निकाल के रख दी हो
बोझ हल्का हो उठा मैं हसने लगा
सब कुछ पहले जैसा ही था बस फ़र्क इतना था कि
सब रो रहे थे और अब मै हस रहा था। ❤️
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"सारा दिन बस काम-काम करता रहता हूँ 'अभि'! कभीं ख़ुद के लिए वक़्त ही नही निकाल पाता हूँ।
मैं वो सूरज हूँ जो धरती की रौशनी के लिए निकलता हूँ और शाम की ज़र्रानवाज़ी के लिए डूब जाता हूँ।"-
एक काँटा जो हाथ में उसके घुसा हुआ था
किसान उसको निकालने में फँसा हुआ था
इस ग़रीब की क़िस्मत का क्या कहना यारों
बारिश की बूंदों का उसको नश़ा हुआ था
एक बात है जो उसको खाये रहती है हमेशा
कि कर्ज़े में वो सबके कितना धँसा हुआ था
इसी कशमकश में बीत गयी उसकी ज़िन्दगी
उसकी रहमत का बीज दिल में बसा हुआ था
मिरे बेरहम मन ज़रा सी और हिम्मत करना
वो अनाज देगा उसने पहले से कहा हुआ था
अपनी क़िस्मत की गाँठ खोलना चाहा "आरिफ़"
पर हर अच्छा लम्हा उसका ज़ोर से कसा हुआ था
खेत उसके "कोरे काग़ज़" दिखते हैं बिना फ़स्ल के
एक खोटा सिक्का मिला उसे वो भी घिसा हुआ था-
एक काम करो न, तुम मुझे बदनाम करो न
जाते जाते मुझ पे, एक एहसान करो न
-© सचिन यादव-
यूँ भी तो आराम बहुत है
आलसियों में नाम बहुत है
दिन भर खाली बैठे रहते
कहते सबसे काम बहुत है-
आसमान से तारे तोड़ लाओ
मेरी खुशी की खातीर फुलो का बगिचा लगा दो
गर तुम करते हो मोहब्बत
तो रुह बनकर मेरे धड़कनो मे बस जाओ
-Krity💘-
तुम ये न सोचो
कि तुम्हारी यादों ने जगाये रखा है।
कभी कभी ये काम मच्छर भी कर लिया करते हैं।-
सब छोड़कर करूँ तुमसे मुहब्बत भरी बातें
मेरी जान मैं अब इतना भी नाकाम तो नही
कुछ जिम्मेदारियां भी हैं घर की ऐ सनम
सिर्फ इश्क़-मुहब्बत ही मेरा काम तो नही-