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कुछ बातें खत नहीं कहते
आँखें कहती हैं
कहीं दर्द नजर न आ जाए
इसीलिए स्त्रियां
काजल डाले रहती हैं-
मेरे नाम की मेहंदी लगाए बैठी है,
लगता है मुझसे इश्क़ लड़ाए बैठी है...
मेरी निशानी माथे पर सजाए बैठी है,
लगता है मुझसे प्यार जताए बैठी है...
मेरे बंधन को गले मे बांधे बैठी है,
लगता है मुझसे दिल हारे बैठी है...
मेरी बलाएँ आंखों में धर बैठी है,
लगता है मुझसे मोहब्बत कर बैठी है...
मेरे रंग में लाल रंग ओढ़े बैठी है,
लगता है मुझसे उल्फ़त जोड़े बैठी है...-
महक जाऊं तेरी जिंदगी के हर खुशनुमा लम्हे में,
काश, मैं तेरे हाथों में मेहंदी सा रचा-बसा होता!
धड़क जाता मेरा दिल तेरे आने की आहट से ही,
काश, मैं तेरे पैरों में पायल की सी झंकार होता!
खनकता रहता मैं तेरे दिल मे हर पल हर लम्हा,
काश, बन के चूड़ियाँ मैं, तेरी कलाई में होता!
चमकता मैं चाँद की तरह अमावस की रात में भी,
काश, बन के काजल तेरी आँखों मे समाया होता!
खुशबू की तरह बिखर जाऊं तेरी हर मुस्कुराहट में,
काश, बन के गजरा मैं, तेरे बालों में इतराया होता!
बन के सूरज दमकता मैं ओज सा तेरे तन-मन मे,
काश, मैं तेरे माथे की सुर्ख दमकती बिंदी होता!
बना लूँ तुमको जन्म जन्मांतर का जीवनसाथी,
काश, मैं तेरी मांग का अमर सुहाग सिंदूर होता!
__राज सोनी-
आँखों में काजल भले ही उसके नाम का लगाती हूँ...
कहीं मिल ना जायें निगाहें उससे,इस डर से झुका लेती है!!!-
ये झुमके, ये काजल, ये बिंदी, ये कंगन
आईने में देखे अक्स में कुछ तो कम था
उसकी आंखों में देखा खुद को, बिन श्रृंगार के ही नूर था-
मेहरबानी होगी आपकी मुस्कान दिख जाए
चेहरे पर सजे आपके , पैगाम दिख जाए
पर्दो में , न छिपाओ आंखों का तुम काजल
काश के मेहंदी में तुम्हारी ,हमारा नाम दिख जाए ।-
बाल भी खुले थे उसके, काजल भी लगा रखा था।
उसके झुमके ने तो, अलग ही उधम मचा रखा था।-
तेरी आँखों में अब भी मुझे प्यार नज़र आता है
जब भी तुम मुझे देखते हो मेरी आँखों का काजल और भी गहरा हो जाता है-
तुमपर मरकर भी जिंदा है उसके लिए इनाम रख दो
मुझे घुरने से पहले आँखों में काजल रख दो
ये खनखन का शौर किसी और को ना भा जाए
ऐसा करो अलमारी में कहीं छुपाकर पायल रख दो
मौत आती है तो कौन रखता है नजदीकियाँ जानी
अगर हो जाऊँ घायल तोअपनी झोली में घायल ही रख दो
मेरी मौत पर ज्यादा ख़र्चा करने की कोई जरूरत नहीं
पुराना ही सही मेरे बदन पर तुम्हारा आँचल रख दो
तुम्हारी खुशी ही सबकुछ है मेरे लिए हो कभी ग़म तो
बेशक मेरी आँखों में तुम्हारी आँखों के सजल रख दो
तुझे देखने के बाद ऐसा लगा जिंदगी जिनी चाहिए
इश्क़-ए-जाम पियो और सात जन्म बेनाम को क़ायल रख दो
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