वो गहरी थी काफ़ि पर ठेहरा वो भी था l आदत थी इक उसकी मुश्किल मे वो भी था l सवाल पे लेहर सा जाता जब चेहरे पे उसके ठेहर सा जाता l पूछता वो उससे , कैसा लगता है तुम्हे ? ये मुखडा सुंदर सा आईने मे अपना l रुकती है कुछ पल वो , एक लम्बी साँस भारती है l दिखती हूँ मै दुनियाँ को जैसी, काश की किस्मत भी होती वैसी l
वो गहरी थी काफ़ि पर ठेहरा वो भी था l आदत थी इक उसकी मुश्किल मे वो भी था l सवाल पे लेहर सा जाता जब चेहरे पे उसके ठेहर सा जाता l पूछता वो उससे , कैसा लगता है तुम्हे ? ये मुखडा सुंदर सा आईने मे अपना l रुकती है कुछ पल वो , एक लम्बी साँस भारती है l दिखती हूँ मै दुनियाँ को जैसी, काश की किस्मत भी होती वैसी l
वो गहरी थी काफ़ि पर ठेहरा वो भी था l आदत थी इक उसकी मुश्किल मे वो भी था l सवाल पे लेहर सा जाता जब चेहरे पे उसके ठेहर सा जाता l पूछता वो उससे , कैसा लगता है तुम्हे ? ये मुखडा सुंदर सा आईने मे अपना l रुकती है कुछ पल वो , एक लम्बी साँस भारती है l दिखती हूँ मै दुनियाँ को जैसी, काश की किस्मत भी होती वैसी l