QUOTES ON #क़फ़स

#क़फ़स quotes

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1 NOV 2020 AT 20:56

उड़ा दिये कुछ परिंदे क़फ़स से जनाब
शौक़ था जिन्हें आसमाँ में उड़ने का

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12 JUN 2020 AT 18:07

तू जैसे क़फ़स , मैं तुझमें क़ैद हूँ ,

ज़ाहिरा

तेरा ये क़ैद करना , मुझे क़ुबूल है ।

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30 SEP 2018 AT 17:24

हवस इंसान की ख़त्म ही नहीं होती
क़फ़स को वो परिंदो का घर बताता है

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1 OCT 2019 AT 13:45

ये मकतब-ए-इश्क़ में न जाने क्या सिखाते हैं
परिंदे क़फ़स की चाह में वापस लौट आते हैं

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21 JUN 2018 AT 20:11

कोई क़फ़स है तिलस्मी,, ये तेरा इंतजार सनम..
खुली खुली हैं बंदिशें और,, बंधे बंधे से हम.....

दूर आसमाँ ए रिहाई पे,, इश्क़-ओ-आगोशे यारम ॥

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2 DEC 2017 AT 14:40

फ़ासला बना चाहे ज़हर पिला
ये क़ज़ा तक ना छूट पाएगा
ये इश्क़ का क़फ़स है 'शब्द'
यों ही ना टूट पाएगा

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17 JUN 2019 AT 16:45

छोड़ने भी नहीं देती और छेड़ना भी बंद नहीं करतीं
कमबख्त यादें भी न, जाने कैसी क़फ़स में कैद किए रहती हैं।

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13 SEP 2020 AT 18:33

क़फ़स....

ना ही दिल है,
ना ही क़फ़स है कोई,
ना गुनाह मेरा है,
ना ही ख़ता है मेरी कोई,
फिर भी ना जाने ऐसा क्यों लगे है,
मिली जो ज़िंदगी सज़ा है कोई।

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छोड़कर हाथ, वो बाँहों में भर लेता था,
सीने से लगा के, चले जाने को कहता था...
सच कहूँ!
न जाने क्यों, तेरी बाँहों का वो क़फ़स हमें बहुत जँचता था।।

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है मशहूर जबसे मोहब्बत बंदिश नहीं ज़माने में
वक्त लगा काफ़ी परिंदे को क़फ़स से उड़ाने में

आज़ाद आसमाँ में वो चहचहाता रहा शाम तक
घिरी स्याह शब तो लगा बेहतरी है लौट जाने में

बिख़रा नहीं वो फ़िर भी मगर जागा वो रात भर
एक अरसा लगा उसे फ़िर ख़ुद को जान पाने में

हुई सहर ख़ौफ़ काफ़ूर जोश आसमानों पर था
तिनका-तिनका जोड़ा उसने आशियाना बनाने में

चंद पलों में घोंसला वो अपना सा लगने लगा था
सदियाँ लगीं मगर उसे उस क़फ़स को भुलाने में

ख़ुश था आज़ाद परिंदा हवाओं के इश्क़ में था
इक लम्हा लगा वाहिद ,उसे वापस खींच लाने में

नामंज़ूर गुज़रा वीरान क़फ़स दुनिया वालों तुम्हें
कुछ बंदिशें लगाओ ख़ुदपर यूँ अफ़वाह उड़ाने में

मोहब्बत बंदिश थी है और बंदिश ही रहेगी सुनो
क़फ़स सजता रहेगा जबतक इस कबूतरखाने में।

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