बड़ा कसकर तोड़ा है ना तूने,
अब बसकर तुझे हम दिखाएंगे।-
ये जो दर्द का पहाड़,
जिंदगी में हमारी खड़ा किया है ना तूने,
इसे काट कर राह अपनी बना तुझे हम दिखाएंगे..-
बांध रखा था
कसकर
जब तक तुम्हें,
दर्द कितना गहरा था
तब तक मुझे,
खोल दिए जिस दिन से बंधन सारे
दर्द में भी है, कितना असीम सुख
.
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जख्म भर गये वो सभी
नासूर बन गये थे कभी-
किसी व्यक्ति को हद से ज्यादा चाहोगे
तो वो दूर जाने लगती हैं
जैसे फुलों को कसकर पकड़ लोगे, तो
पंखुड़ियां गिरने लगती हैं
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आँखो मे तो पहले ही समा चुके
बस इस सूरत को अब दिल में उतर
रूह की पहचान बन जाने दो-
झाडू मारने वाली ने आँख मारी,
नाटे, मोटे, ऊँचे, सुकटे,
सब खड़े हुए क़तार में,
झाडू उड़ी बढ़ी रफतार से,
हँस कर उसने उड़ान भरी,
तिरछी नजरिया बरस पड़ी !
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"हम कसकर बांध" लेते "बाजू पर ज़िन्दगी भर" के लिए,,
"काश तू ख़ुदा की रहमत" का "कोई ताबीज़ होता"..!!
शशांक भारद्वाज...-
देखते ही कसकर गले लगाना ,
तू खास बहुत , ऐसा जताते हैं ।
बेशकीमती हर वो लम्हा,
हम नशे में हैं भूल जाते हैं ।-
कितना भी कसकर पकड़ो
जादू की झप्पी से जकड़ो
क्षण में फिसल जाते हैं ,
इनको इनके पल में ही
जी भरकर जी लो
ये बस अपने निशान
पीछे छोड़ जाते हैं ।
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यूँ आपका मेरी परवाह करना,
बड़ा अच्छा लगता है !
यूँ आपका मुझे कसकर पकड़ना,
बड़ा अच्छा लगता है !
यूँ आपका मेरे दिल की बात,
समझना बहुत अच्छा लगता है !
यूँ आपका मेरे दर्द को समझना,
बहुत अच्छा लगता है !-