जी हाँ हम ठहरे गाँव के तो मुझमें अभी गांवती ख्याल बाकी है
जवाब मिले होगें औरों को मगर मेरे तो अभी सारे सवाल बाकी है
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हमारे लिए आपने पढ़ा बस इतना काफी है
मेरी profile पर जरा सम... read more
कहानी में किसी और की हम जबरदस्ती बिठाये गए हैं
जिसे जितनी जरूरत थी बस हम उतने अच्छे दिखाये गए हैं-
तेरी खुशियों के लिए हमने
जाने क्या क्या तिकड़मे अपनाये है
तुम शुकर मनाओ तुम्हे गैरो से शिकवे मिले
हमने अपनो से धोखे खाये हैं-
बड़ी सिद्दत से पढ़ रहा था तेरी ज़िंदगी की किताब को
सोचा आखिरी पन्नों पर ही सही मगर तेरा मेरा साथ मिलेगा
क्या मालूम था मेरा जिक्र भी न होगा तेरी कहानी में मुसाफिर खुशी
तेरी इक नयी महफ़िल होगी तुझे एक नया सरताज मिलेगा-
बहुत फुर्सत में है ये दिल कि
अब इसके लिए कोई कुछ ज्यादा ही खास नही है
बात ये है कि बात करने जैसी मेरे पास कोई बात नहीं
यकीन मानिए हम आपसे बिलकुल भी नाराज नहीं है-
ऐ गालिब तु रोज़-रोज़ हमे दस्तान-ए-जिंदगी न बताया कर
एक रोज़ हमारी भी जीकर देख यूँ रोज़ हमे अपनी तकलीफें न सुनाया कर-
वहाँ तक जुनूनियत की हद हो....
जहाँ न कोई सरहद हो,
तू रखता रहे विश्वास से कदम....
सदा तेरे स्वर्ण पर पद हो॥-
आज कल जो वक्त और हालात का फलसफा है
कल जब मिले तो
इस बात का शुकर करेगे कि मुस्कुराइये आप जिन्दा है-
पल-पल उसकी यादो के सागर में खुद को डुबोना
अरे छोडो, इश्क़ किसी को चाह कर करना
ये किसी के बस मे तो है ही नही न-
टूटा था उस रोज मेरा सब्र
जिस दिन तूने मुझे काट गिराया था
रक्त की एक भी बूंदे न दिखी
परन्तु तुमने कईयो का खून बहाया था
तरसेगा एक रोज मुझे पाने के लिए
ये बात उस दिन मैंने चीख़-चीख़ बतलाया था
स्वास तुम्हे मै देना चाहता हूँ किन्तु विवश हूँ
मेरा जड़ो को काट तुम्ही ने स्वयं का जीवनकाल घटाया था॥
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