कवि बदल सकता है कमीज़
हर बार मौसम की अनुकूलता के समान
ताप सहता है तो ठिठुरता भी है
निकाल लेता है छतरी मानसून से पहले
पर कविता होती ही है बड़ी ढीठ
लिखे गए भाव से न पढ़ी गई गर
तो कर ही डालती है अर्थ का अनर्थ,
दिखती रहती हैं कवि की जड़ें
और कविता को पहचानते हैं हम
उस पर उगे फूलों से
नमी चुराती है वो हमारी, तुम्हारी आंखों से,
नहीं रहता कभी कवि का बसंत एक सा
पर कविता का मधुमास तो एक ही होना है
बहुत तल्लीनता अवशोषित करती है कलम
एक कविता बनाने में
वहीं कवि लिख देता है कभी भी कुछ भी
कविता कवि का वह जोखिम है
जो पहनने से पहले कवि
कलफ़ लगाता है शब्दों का
इत्र लगाता है भावों का
तब कहीं रचती है एक सुंदर कविता.-
अनुभूति के
रस में डूबकर
मनोभाव जब
स्थिर हो जाता है
तब भवसागर में
विचारों की वेगवान
अनंत लहरें भी
रोक नहीं पाती
मिलने से....
कल्पना को कवि से
प्रेमी को प्रियतम से
आत्मा को परमात्मा से
बिम्ब को प्रतिबिम्ब से!-
क्या हुआ जब बाबा नागार्जुन, कवि केदारनाथ अग्रवाल के गृह नगर बाँदा के कवि सम्मेलन में पहली बार गए?
केदारनाथ अग्रवाल ने जब बाबा के आगमन को 'अहोभाग्य' कहा, तो बाबा ने खुद को 'बड़भागी' क्यों कहा?
(अनुशीर्षक में पढ़ें)
-
कविता बनाने की विधि
कल्पना की हाँडी
अतीत के चूल्हे पर रखिए,
धीमी आँच पर मन जलाइये...
शब्दों को डालकर...
पंक्तियों के चम्मच से
हिलाते रहिये!
भावों की सुगन्ध लीजिए!
कुछ और शब्द डालिए...
कविता तैयार हो रही है!
सावधानी: मन की आग बहुत अधिक न हो, इससे कविता नष्ट हो सकती है-
खामोशियाँ खलती है यें, शोर भी भाता नहीं
बात करें तो किससे करे,
किताबों सा कोई बतियाता नहीं
ना बनाओ ताज मोहब्बत में, फना होने का इरादा भी नहीं
मुझे जीना है सदा के लिए,
लिख दो किसी कविता में कहीं-
कविताएं वे शिशु रही
जिनका जन्म भावनाओं के गर्भ से हुआ
अन्यथा
संसार का कोई भी पुरुष कवि नहीं होता-
कवि और कायनात के बीच एक जंग जारी हैं
कलम आज भी पूरी कायनात पर भारी हैं-
Dear YQ ians,
यदि किसी एक दो का नाम लेकर उनकी तारीफ करूँगा तो ये उनके साथ ज्याती होगी जो दिल से और बहुत अच्छा लिखते हैं। मैं समझता हूं सब के पास एक अलग कला है, कोई write-ups अच्छे लिखता है , तो कोई कविता, कोई गज़ल तो कोई नज़्म , कोई one/two liners अच्छे लिखता है तो कोई letters , कोई गीत अच्छे लिखता है तो कोई मुक्तक छंद , कोई व्यंग्य अच्छे लिखता है तो कोई कहानी ,पर सब लिखते बड़ा कमाल हैं किसी एक को चुनना दूसरों के साथ नाइंसाफी होगी। कोई अंग्रेजी का किंग है तो कोई हिंदी का सम्राट , कोई उर्दू का बादशाह है तो कोई हिंदुस्तानी का राजा ,मगर सब लाजवाब हैं। किसी को पढ़ के मन में आक्रोश पैदा हो जाता है तो कहीं असीम शांति मिलती है, कोई गम्भीर से गम्भीर व्यक्ति को हंसा देता है तो कोई पत्थर दिल को भी पिघलने पर मजबूर कर देता है ,पर हैं सभी अद्भुत। कोई आपको अपना गांव याद दिलाता है तो कोई शहर की सैर करा देता है। किसी का लेखन आपको नए शब्दों की सौगात दे जाता है , तो कोई अर्थों के समंदर में गोता लगाने को बाध्य कर देता है। कोई अपनी लेखनी से प्रेमिका की तस्वीर उकेर देता है तो किसी को पढ़कर मां बाप को बार बार thanku कहने का जी करता है। सब अपनी जगह अनमोल है कोई किसी दूसरे की तरह नहीं लिख सकता।
मैं हमेशा कहता हूं चाहे जो हो पर सब आदमी से इंसान बनने में लगे हुए हैं ।-