शून्य की ओर
(Read in caption)-
प्रेम की पराकाष्ठा का आज भी यहीं हाल हैं
यहाँ प्रत्येक गौरी के लिए एक महाकाल हैं— % &-
उनकी नजरो में अच्छे से ज्यादा बुरे हैं हम
शुरुआत से ही अधूरे हैं.. फिर भी पूरे हैं हम— % &-
सैंकड़ो किस्से, कहानियाँ उभर आती हैं अरमान में
लोग मरकर अमर हो जाते हैं कौमी तिरंगे की शान में-
जिनकी तलवार से, शत्रु घोड़े समेत मर जाता था
हुंकार से उनकी, अकबर महल में भी डर जाता था-
आओ थामे हाथ शत्रु का
उनको भी साथ चलाए
भरकर चिंगारी सीने में
पानी से आग जलाए-
इम्तिहानों को थोड़ा और मुश्किल बनाना पड़ेगा
एे जिंदगी..
हमें झुकाना हैं तो थोड़ा और दम लगाना पड़ेगा
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असत्य और अहंकार पर विजय
मर्यादा और अच्छे काम की हुई
दीपायमान हुई अयोध्या....
जब लंका मे जयघोष राम की हुई-
Covering up your demon, doesn't make you free from it. It's still inside.
If someone applies a fixed amount of pressure, it will roar again.-