जब भी सोचती हूँ तुम्हे खुद के पास तो धरती और आसमान की दूरी लगती है सिर्फ आभास
छूना चाहती हैं तुम्हे मेरी कल्पनाएं और बनाती है तुम्हारा प्रतिबिम्ब अपने ही ख्यालों में
फिर एक दम से टूट जाते हैं सपनें मेरे शीशे की तरह बिखर जाते है ख़्वाब और बचती है सिर्फ याद देखती हूँ फिर आसमान में और पाती हूँ खुद को नाकाम तुम्हारी दुनिया में
ढूँढ रही हूँ, खुद को खुद में ही, भूल गयी हूँ अपने आप को, दूसरों के हिस्से में, कहीं दूर छोड़ दिया है, खुद को औरों की परवाह में, अब तलाशने लगी हूँ, आखिर कहाँ खो गयी मैं? सवालों की कतारें हैं, पर जबाब एक भी नहीं।।
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26 APR 2023 AT 0:10
चलो आज चांद पर चलते हैं... कुछ खवाव तुम गुनना... हम हमेशा की तरह खामोशी से तुम्हें सुनते हैं... चलो आज चांद पर चलते हैं... कुछ देर युही खवावों की दुनियां मैं टहलते हैं .... ~˙❥˙。☆ {बस यूंही}
प्रिये, प्रातः काल की बेला जब मेरे नयनों ने पलकों से आग्रह किया, मुझे दुनियां देखनी है,पलकों ने मुस्कुरा कर कहा तुम्हारी चाहत की दुनिया तो मेरे बंद रहने पर ही तुम्हे दिखेगी। मैंने भी अपने नयनों को पलकों की चादर से बाहर निकालना उचित नहीं समझा, क्योंकि वो काल्पनिक दुनिया जिसमे मै और आप थे,वो वास्तविकता से परे थे। ♥️♥️❣️♥️♥️
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