सोंच भी ना सकोगे नारी के इतने रूप है
कभी ठंडी सी छांव तो कभी सुहानी धूप है
कहीं पर तेज तर्रार तो कहीं मीठी मुस्कान है
हर फर्ज अदा करते आज भर रही उड़ान है
किसी के लिए कांटे जैसी तो कभी नर्म फ़ूल है
कड़कती धूप में जैसे बारिश की शीतल बूंद है...-
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बहुत खूबसूरत होती है ये फासलों वाली मोहब्बत,
सुना है पास होने में शर्तें बहुत है.....-
सामने फ़ूल और पीठ पीछे खंजर है,
अपनों की भीड़ में कैसा वीरान मंज़र है...-
"तुम" Vs "मैं"
तुम पूरा समुद्र तो मैं एक बूंद मात्र हूं,
तुम बड़े वीरपुरूष तो मैं धूल मात्र हूं,
तुम विशाल पत्थर तो मैं कंकड़ मात्र हूं,
तुम समूचा विश्व तो मैं अंचल मात्र हूं,
तुम तीव्र ज्वाला तो मैं दीप की लौ मात्र हूं,
तुम लाखों करोड़ों में तो मैं सौ मात्र हूं,
तुम हुनर के राजा तो मै युवराज मात्र हूं,
तुम पूरी किताब तो मैं अल्फ़ाज़ मात्र हूं,
तुम बड़े businessman तो मैं किसान मात्र हूं,
तुम कोई भगवान तो मैं इंसान मात्र हूं..!!
भले ही लाख कमियां है मुझमें पर खुश हूं क्योंकि
मैंने समझ लिया है,कि थोड़ा ही सही हुनर सबमें है,
गर कोई हर वक्त सही तो कोई बेहतर मात्र है,
कोई बड़ा बुद्धिमान तो कोई सुंदर मात्र है..-
Ek hi din me padh loge kya mujhe,
Maine khud ko likhne me sadiyan gujar di..!!-
कैसे कहूं मेरे लिए क्या हो तुम ❤️
मेरे दिलखुश कलम की दिलकश अंदाज हो तुम✍️ ,
जिसे हर कोई जानना चाहे वो छिपा राज हो तुम😘,
औरों के समझ से बाहर अनसुना अल्फ़ाज़ हो तुम😍,
जिससे दिल की शोभा बढ़े वो खूबसूरत ताज हो तुम💫
जो लफ़्ज़ों में भी बयां ना हो इतनी खास हो तुम💋,
जिसे हर दिल सुनना चाहे वो आवाज़ हो तुम💤,
खिला हुआ फूल भी मुरझा जाए गर नाराज हो तुम🌹,
और क्या कहूं तुम्हारे बारे में🤔 ,
बस यही की इश्क़ से भी ऊपर इश्कबाज़ हो तुम😘❤️...-
आप सभी की ज़िंदगी में
सुख शांति, समृद्धि और बेहतर स्वास्थ्य
का आगमन हो...-
सच कहूं तो कोशिशें बहुत की सोने की
पर आंख आज भी खुली रह गई,
बंद तो किए थे हमने सारे दरवाजे
पर तेरी याद की एक खिड़की खुली रह गई...-
आकर हमें भी सहेज ले ऐ ज़िंदगी ,
इस साल की तरह हम भी
बहुत थोड़े से ही रह गए है...-
तुमसे नाराज़ होकर भी कहां जाऊंगा मैं
जो चला गया तो वापस लौट आऊंगा मैं
तुमसे ही तो दुनिया है मेरी
जो तुम रूठे तो कसम से मर जाऊंगा मैं..-