हज़ार गम-ए-अश्क बहे खुद से खुद की जुदाई में
भटके यादों के दिए दर खट खटाया लबकुशाई में।
चीख़ चीत्कार के मंज़र में हर आंख भरा रहा आँसू से
मलाल बना रहा घर छोड़ा हमनें किसकी रहनुमाई में।
पोशीदा मर्ज़ ने हर घर को अपना मरहला बना लिया
शुक्र हमनें अब तक भरोसा क़ायम रखा उस खुदाई में।
सबोंके मज़ीद दुआ से स्याह मंज़र जहाँ का बदल जाए
फ़िर से सब खुशियां मनाएं अच्छे दिनों के इब्तिदाई में।-
अगर आप 3 मई के बाद,
तीसरा चरण नहीं चाहते हो,
तो अपने दोनों चरणों को,
अपने ही घर पर रखें।-
बनकें काल
ढा रही है क़हर
अदृश्य शक्ति
फैल हवा में
मचा रहा ताण्डव
बन ज़हर
श्वेत चादर
न दो गज जमीन
न मिले कंधा
नसीब नही
दो बूँद गंगाजल
तुलसीदल
खड़े लाचार
बेहाल बेबस से
रहे निहार
छा काला साया
तड़पाती रूह है
दिखे न कोई
फेल विज्ञान
न ईश्वर साथ है
लगी कतार-
चारो तरफ आहकार मचा भयभीत है दुनिया सारी ..
इस दुनिया का अंत तो नही ये करोना की बिमारी ।।-
*कॅरोना वायरस के फैलाव को रोकने में आप एक दूसरे की मदद कुछ इस तरह कर सकते हैं*;-
*१. आलसी बनें* ।
*२. घर में पड़े रहें*।
*३. घर वालों के साथ गप्पें मारें* ।
*४. पड़ोसियों से शर्तें लगाएं कि कौन कम से कम घर से बाहर निकालता है* ।
*५. कर्मठता का कीड़ा काटे तो कुछ अच्छा लिखें या किताबें पढ़ें* ।
*६. संगीत सुनें, फिल्में देखें और सो जाएं* ।
*७. यथा संभव अपने मित्रों को आलस्य के प्रति जागरूक कर कोरोना के प्रति सचेत करें*।
Moral :- *आलस ही बचाव है*-
पीठ पे डंडा पांव में छाला
चार दिनों से नहीं निवाला
वो देखो लाश पड़ी है
और मैं भी हूं मरनेवाला
मेरा क्या है मज़दूर हूं मैं
मैं भूख-प्यास में पलनेवाला
सदियों से यूं जीनेवाला
पर चंद मास के भूखे बाला को
मैं कैसे समझाऊं ताला
जब वो मुझसे बिलख के मांगे
पापा कहां है मेरे दूध का प्याला ?-
दर्दे-ए-दिल का ग़म
ना मिल पाने का ग़म
तुम क्या जानो करोना बाबू
तुम तो हो बेरहम।
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"इश्क में लोगों की जान जा रही है
और वैक्सीन हम करो ना कि बनवा रहे हैं"।-