उधेड़ना होता है खुद को एक सिरे से दूसरे छोर तक टटोलती हूं ताक पर आंखों से ओझल हुई स्मृतियाँ जिन्हें बड़े जतन से तनिक पीछे ढ़केल कर रखते हैं किसी दिन खो जाते हैं। अपनी ही पहुंच से बाहर....! दराज के ड्रावर से कपड़े की तहें खंगालते हाथ अनायास ही मन की राह बदल लेते हैं उन सूखे फूलों की पंखुड़ियां जिन्हें अरसे की उम्र लगी है बंद रहकर सारी नमी खो चुके फूल 🌸 बिखर गए हैं अनगिनत अहसास की खुशबूओं से तर ब तर!
इतना बेचैन होने लगता है जैसे किसी अपने को मिलने के लिये तड़प रहा हो मन जाने कितने रंग बदलता है मन कभी बिन बात खुशी महसूस करता तो कभी कभी बिन बात के उदास हो जाता।। बस इस मन की चंचलता को कभी कोई समझ नही पाता ।।।
एक दिन ऐसा भी था हुई थी पहली मुलाकात कभी अब लफ्ज़ कहीं गुम हो गए पहले होती थी बात कभी कैसी अंधियारी छाई है ये रहती थी रोशन रात कभी खोखला हो गया है ये दिल बसते थे जिसमें जज़्बात कभी हाल बेहाल हो गया है मेरा बेहतर थे मेरे हालात कभी क्योंकि याद नहीं उसको कुछ भी कमाल थी जिसकी याद्दाश्त कभी
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