उधेड़ना होता है खुद को
एक सिरे से दूसरे छोर तक
टटोलती हूं ताक पर
आंखों से ओझल हुई
स्मृतियाँ
जिन्हें बड़े जतन से
तनिक पीछे ढ़केल कर रखते हैं
किसी दिन खो जाते हैं।
अपनी ही पहुंच से
बाहर....!
दराज के ड्रावर से
कपड़े की तहें
खंगालते हाथ अनायास ही
मन की राह बदल लेते हैं
उन सूखे फूलों की पंखुड़ियां
जिन्हें अरसे की उम्र
लगी है
बंद रहकर सारी नमी खो चुके
फूल 🌸
बिखर गए हैं
अनगिनत
अहसास की खुशबूओं से
तर ब तर!
प्रीति
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रोज नये जिस्म की खुशबू को फलां इत्र बताते हो ,
कोई जदीद लाओ ना जान इक हीं पैंतरा हर मर्तबा दोहराते हो !!
❤ ❤ 💔 ❤ ❤-
तू आ कर यूँ ही रोज मुझे छूकर जाया कर
हर पल में तेरे होने का अहसास दिलाया कर
कभी आ कर पास मेरे ठ़हर जाया कर
तो कभी मुझमें ही कही यूँ उतर जाया कर ।
प्यार मोहब्बत आशिकी ये बस
अलफ़ाज़ो मैं ना बताया कर
पर जब तुम मिलो इन अलफ़ाज़ो को
हकीकत का माय़ना दिलाया कर ।
कभी तो मेरे होंठों के पास आ कर
ठह़र जाया कर
कभी तो मेरी सांस़ो को पहचान
उसमें उतर जाया कर ।
यह जमीन आसमान सब वहीं हैं
पर कभी तो तू मेरा होकर रहा कर....
कभी तो तू मेरा होकर रहा कर......!-
इतना बेचैन होने लगता है
जैसे किसी अपने को मिलने के लिये
तड़प रहा हो मन जाने कितने रंग बदलता है
मन कभी बिन बात खुशी महसूस करता
तो कभी कभी बिन बात के उदास हो जाता।।
बस इस मन की चंचलता को कभी कोई समझ नही पाता ।।।
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मै बेगुनाह होने पर भी सज़ा पाता हूँ ,
मैं मर्द हूँ ना दर्द को भी सेहन कर जाता हू...!!
कभी सुना है,
लड़का है इज्ज़त से बात करो...?
नहीं सुना होगा ,,
क्यों की हर बार यही बोला जाता है,,
लड़की है इज्जत से बात करो ......llll-
शजर लगाया था मोहब्बत का किसी ज़माने में 'शिवि',
ग़म, यादों के, फल बन के मिल रहे हैं आज तलक
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जी तो चाहता है कि तुझे दिल में छुपा लूँ मैं
मगर न कभी वक़्त ने इजाजत दी ना तुमने-
कभी पैसे उधार मांग कर देखो जनाब,
क्या पता तुम्हारी कीमत पैसों से कम निकले।-
एक दिन ऐसा भी था
हुई थी पहली मुलाकात कभी
अब लफ्ज़ कहीं गुम हो गए
पहले होती थी बात कभी
कैसी अंधियारी छाई है ये
रहती थी रोशन रात कभी
खोखला हो गया है ये दिल
बसते थे जिसमें जज़्बात कभी
हाल बेहाल हो गया है मेरा
बेहतर थे मेरे हालात कभी
क्योंकि याद नहीं उसको कुछ भी
कमाल थी जिसकी याद्दाश्त कभी-