इस मतलबी दुनिया मे ,,,,,,,
बेमतलबी होकर जीना चाय सिखाती है, ,,,
अपनो मे बन रहे गैरो को भूल,,,,,,,
बस रिश्तो मे मिठास जगाना सिखाती है,,,,,
ये बताती है भूलो कड़वाहट को,,,,,
बसा लो मिठास को जिंदगी मे ये सदा सिखाती है।
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दिल से खेलने के जमाने में हम
शब्दों से खेलना सीख रहे हैं,
और नफरत ए जमाने में थोड़ी
शब्दों की मिठास घोल रहे हैं...-
🏵️ एक सच यह भी .🏵️
धीरे -धीरे अब रिश्ते बदलने लगे हैं ,
अपना कहने वालों के दिलों में
तेरे मेरे के भाव भरने लगे हैं|
जुवां पे मिठास और दिलों में कड़वाहट रखते हैं,
रिश्तों को अपनेपन के भाव से नही
वरन् पैसों से परखते हैं |
खून के रिश्तों को भी गरीबी -अमीरी की
तराजु में तोलते हैं ,
पैसों से कमजोर के लिए बेगानापन निशि
और पैसे वालों के लिए बातों में शहद घोलते हैं।
........निशि ..🍁🍁
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हर चीज़ का ज़ायका बिगड़ गया है "अरज",
मोहब्बत में शायद कड़वाहट घुल गई है।-
युद्ध के घातक परिणाम थी
त्रासदी !
कड़वाहट उदास सांझ को घूंटभर
निगल सकती थी।
कोलाहल मन की सूखती देह पर
खींची लकीरें
मिटाना नहीं जानतीं
परत दर परत जमी काई
कोई कैसे रोक पाता
शैवाल बनने से
कभी सूखने से फटी दरारें
कभी भीगने से उपजी
फिसलन।
विषमता के गरल पी कर
उन्मुक्त कब हुआ ये मन।
प्रीति
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कुछ ज़्यादा ही उबाला गया हैं रिश्तों को
चाय में थोड़ी कड़वाहट सी आ गई हैं।-
कड़वाहट दिल की हो या जुबां की
उससे तो केवल फासलें ही बढ़ते हैं,
पर एक छोटी सी मुस्कराहट 😃
कमाल कर जाती है 🌹
जब बदौलत उसकी बहुत से रिश्ते संवरते हैं|
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रिश्तों में कभी-कभी थोड़ी सी "कड़वाहट"भी जरूरी है,
इससे ये पता चल जाता है कि रिश्तों में "रस" कितना है।-