🌼" घर बहुत याद आते हैं " 🌼
अक्सर घर से दूर रहने वाले लड़के,
छुट्टियाँ बिताकर घर से वापस परदेस
आ तो जाते हैं.....
पर ,माँ के हाथों की रोटियाँ,
बहन का प्यार,
भाई का अपनापन,
पिता का दुलार,
पड़ोसियों का सम्मान,
सब छोड़ आते है
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[ पूरी रचना कैप्शन मे...]-
[ A drop of pure ink ✍ ]
⚙ Engineer by profession & writer by heart.
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।। जीवन के रंग ।।
जीवन खूबसूरत बन जाता है जब हम
उसमे खूबसूरत रंग संजोकर रखते हैं।
एक रंग ऐसा हो कि जिसको आप लगा दें
तो उसके अलावा दूसरा रंग किसी को न भाए।
एक रंग ऐसा हो कि जिसकी खुशबू आप
बिखेर दो तो दूसरी खुशबू किसी को न भाए।
एक रंग ऐसा हो कि जिसका रंग जीवन भर
चमकता रहे।
एक रंग ऐसा हो कि राह मे बिखरकर
मार्गदर्शक बन जाए।
एक रंग ऐसा हो कि जिसको पाकर सारी
खुशी मिल जाए।
एक रंग ऐसा हो जिसको देखकर मन
खिल जाए।-
साँवरी तुमसे जो ये नजर मिल गयी है,
मुझे तो जहाँ की खुशी मिल गयी है।
बड़े ही खूबसूरत हैं ये नयन तुम्हारे,
धूमिल नजरों को एक चमक मिल गयी है।
हम तो गिरे थे कब से इस भीड़ मे,
इतनी दूर से कैसे तुम्हारी नजर पड़ गयी है।
अपना माना है तो,उम्र भर निभाना,
मेरे अपनो से ही मेरी नजर गिर गयी है।
दुनिया ने तो सिर्फ दिल ही दुखाया है,
सीने से लगाया तो राहत मिल गयी है।
मै तो अँधेरे मे भटक गया था कहीं,
तुम साथ हो तो एक राह मिल गयी है।
कब से सूखे थे ये नयन हमारे,
तुम्हे देखकर एक नदी बह गयी है।
साँवरी सुनो तुम मिली मुझे तो
लगा जैसे एक जिंदगी मिल गयी है।-
" प्रेम का वृक्ष "
प्रेम का वृक्ष अंकुरित
होकर "पुष्पित" तभी होता है जब
उसकी जड़ें सच्ची चाह,समर्पण,
सम्मान,त्याग और निश्छल भाव
से मिश्रित पवित्र जल से सिंचित
होती हैं।
( रचना कैप्शन मे....)-
!! श्री राधे !!
तुम आस हो,विश्वास हो,
मेरी श्वास हो राधे,
डूबती हुई नैया की तुम
ही आस हो राधे।
(पूरा भावाभिव्यक्ति कैप्शन मे...)-
जीवों पर दया करो,
शाकाहारी बनो।
( रचना कैप्शन मे ...)
[ If you can look in their
eyes and not see a soul
may be it's because you
still haven't found
your own.]-
निरंतर प्रयास करो कि मन
कर्तव्य पथ से विचलित न हो।
नित्यप्रति कर्म,लगन और सतत
अभ्यास से सफलता की सीढ़ी
मिलेगी।
सफलता के लिए मनुष्य की
मनोवृत्तियों(प्रेरणात्मक,भावनात्मक,
बोधात्मक,संज्ञानात्मक) मे भावनात्मक
मनोवृत्ति की अहम भूमिका होती है।-
💮 ।। श्री कृष्ण जन्मोत्सव।। 💮
घनघोर घटा,व्योम से सुधा रस बरसे,
धरा,पवन,तरू सभी दर्शन को तरसे।
वासुदेव के प्राण और देवकी के लाल हैं,
मंद-मंद मुस्कराते,खूबसूरत गाल हैं।
देव,गंधर्व सब निरख प्रभु को हर्षें,
सबकी अँखियन से खुशी के आँसू बरसे।
पहुँचे नंद घर,यशोदा मुखड़ा निरखें,
लल्ला को देख पलक नही गिरते।
बड़े नटखट हैं,मुरली धर,माखनचोर,
अनेक नाम हैं प्यारे,उनमें एक चितचोर।
माखन चोरी,यमुना से गेंद लाना,
यशोदा का कान पकड़कर घर लाना।
सब कुछ ही खूबसूरत है,प्रभु आपकी लीला,
हमारी जीवन की डोर प्रभु पकड़ो या कर दो ढीला।
हम आपके दर पे हैं,रहेंगे यूं ही सदा,
माफी कर देना या दे देना कोई सजा।-