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8 DEC 2018 AT 10:13
मुझे नही जाना आसमां की ऊंचाइयों पर ,
जमीं पर मेरा घरौंदा है
मुझे उसकी याद आती है ......-
22 AUG 2020 AT 9:41
अगर ऊँचाइयों की बुलंदियों तक जाना है
तो जड़ पकड़ कर रहो...........!-
11 MAY 2020 AT 16:03
ज़िन्दगी की ऊंचाईयों को यूं छू लेते ,,
पाकर खुद को अकेले यूं रो लेते हैं,,
कहते हैं कोई गम नहीं यूं ही हंस लेते हैं,,
तेरे तजुर्बे पे ज़िन्दगी खुशी में भी रो लेते हैं।।-
22 NOV 2022 AT 9:50
ऊंचाइयां, बुलंदियां और शान राजाओं की भी खो जाती है।
घमंड मत कर वंदे यहां वक्त के साथ सब धूल हो जाती है।।-
29 JAN 2021 AT 22:20
कद बढ़ा नहीं करते, ऐड़ियां उठाने से !
ऊंचाईया तो मिलती हैं, सर झुकाने से !!-
21 AUG 2020 AT 15:25
उन ऊंचाइयां तक पहुंचने का सपना है
जहां कोई चढ़ा ना होगा,
उन्हीं ऊंचाइयां से गिरने मन है
जहां से कोई गिरा ना होगा ना होगा-
1 NOV 2021 AT 22:08
5 JUN 2021 AT 14:50
ऊँचाइयों को हासिल करके भी जो जमीं से जुड़ा रहा उसे कोई नही गिरा सकता...
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