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विश्व हिन्दी दिवस पर हिन्दी भाषा के विकाश हेतु
एक अहिन्दी भाषी के सुझाव कैप्शन में पढ़े-
✍️"गुज़रते लम्हें, बीती यादें "
गुज़रता लम्हा बेहतरीन यादें लिए न जाने किस मंज़िल को
पाने की चाहत में मुसलसल, तीव्रतम बस जाए जा रहा है।
उमर दिनों दिन घट रही हमारी, यह जग लिए हुए अनगिनत
बिमारी, लड़ाई जारी रख साहस भरे राह दिखाए जा रहा है।
यादें सहेजने हमने कई साधनों से रिश्ते बनाए जो आखिरकार
हमारे गुजरने पर लोगों को हमारी छवि नजरों में लाने लगे हैं।
बीती यादों में डुबकी लगा, बड़ा अच्छा महसूस होता है तो याद आ
जाती है बचपन जो सुना जाती है किस्से तो गुजरे याद आने लगे हैं।
यूँ तो वे अब ज़िंदा रहे नहीं पर उनके साथ बिताए बचपन की यादें
उनके चेहरे सामने पटक जाते हैं कभी कभी, वो मेरे अपने जो थे।
माँ पिता के अतिरिक्त जिन्होंने मुझे बचपन में तराशा भी तो वह थे
दो मेरे "नाना नानी "; मुझे पैरों पर खड़े देखना उनके सपने जो थे।-
सच्चाई के मार्ग में मिलती है गति कहाँ
दुर्निति ही दिलवा रही सबको उन्नति यहाँ-
उन्नति की चाह में
गाँव से शहर को आएं
शहर का पतन देख कर
गाँव फिर से लौट आएं...-
उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ते रहना है।
अपनी गलतियों से सीखते रहना है।
कठिनाइयां तो आएंगी ही रास्तों में,
इनको पार करके आगे बढ़ते रहना है।-
चेतना की खान है, हिन्द के प्राण की यह गाथा है
पाकर बोल जिसके हर दृष्टांत सफल हो जाता है
श्वास का विश्वास; गौरव-पथ की जो अभिलाषा है
हिंदी मात्र भाषा नहीं है, हिंदी मातृ-भाषा है-
उन्नति की चाह में हम
सब कुछ छोड़ आगे
बढ़ आए है मगर जो
पीछे छूट गया है उसे
सोच कर आंखों में
आंसू भर आए है,,-