वह सिर्फ एक ईंट ही तो थी, पूरा मकान क्यों ढह गया,
बस माँ की गैरमौजूदगी से, सारा परिवार क्यों बह गया।-
हर पत्थर बुनियादी ईंट नहीं होता...
कुछ पत्थरो को देखा है...
कूचों की ख़ाक छानते हुए...
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इकलौते ईट कि किमत ,
कोई समझा ना यहा लेकिन,
जुड़ के बन जाये दिवार तो,
बना लेते है सब इसे अपना घर द्वार...-
ख़ुदा अब क्या नवाज़ेगा मुझको शोहरतों से,अवन
सुना अब अब लोग उसे बनाते हैं शहर मे ईट पत्थरों से!!-
इक और ईट गिर गई, दिवार-ए-हयात से,
और लोग कह रहे हैं party तो दे दो...🎉-
कि जब हम बुरे थे तब किसी ने हमे बुरा नही कहा,
हम अच्छे क्या बने साहब सब बुरा कहने लगे।
अब मै बुरे लोगों के लिए बुरा बन गया,
अच्छो के लिए अच्छा बन गया ।
लोग सीधे लोगों पर ही वार करते हैं,
इसलिए सीधा पन मैने अब छोड़ दिया।
जो जैसा व्यवहार करता है मै उसके साथ वैसा ही हो जाता हूँ।-
गलतफ़हमियो के सिलसिले
इतने दिलचस्प है,
हर ईट सोचती है दीवार मुझ पर खड़ी है |
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*गलतफहमियों के सिलसिले*
*इतने दिलचस्प हैं,*
*हर ईंट सोचती है, दीवार*
*मुझ पर टिकी है ।*
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मजदुर हैं साहब दुनिया से अलग दिखते हैं,
मगर दुनिया में ही रहते हैं!
बेसक ईट की दीवार नहीं है तूफानों को रोकने के लिए,
फिर भी झोपड़ियों में सुकून से रहते हैं,
कभी भरपेट तो कभी खाली पेट सोते हैं!-