Abhishek Kumar Dubey   (@bhi Dubey)
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Joined 14 April 2020


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11 JUN AT 19:58

जन्म दिन की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं मित्रा,
,
महादेव सदैव तुम्हारे पर अपनी कृपा बनाए रखें ।

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2 JAN AT 11:40

ना बिछड़ें गे कभी मिल कर
ग़र तेरा साथ हो.............

ना जाने कितने वक्त गुज़र गए
तन्हाइयों में......................

ख़ामोशी का ये शुरूर कब तक?
हृदय में शोर मचाएगा...........

कभी तो चल कर ये बात लफ्ज़ों
तक आयेगा.........................

इंतज़ार की घड़ी दो घड़ी
अब बहुत जी लिए.................

कब तक तन्हाइयों का बोझ ?
मैं तन्हां उठाऊंगा...................

कभी तो वें मौन ज़ुबां मुझपर भी,
तरस खायेगा........................

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27 AUG 2024 AT 19:19

प्रेम सदैव मौन की भाषा कहती हैं ,

यह भाव मात्र एक प्रेमी की हृदय ही जान सकता हैं।

इसे किसी माप तौल की आवश्यकता नहीं होती,

यह भाव प्रियतमा की हृदय भी जानती हैं।

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20 AUG 2024 AT 19:07

राजनेताओं की आपसी मतभेदों ने ,
न्याय की परिभाषा ही बदल डालें ।

तू – तू , मैं – मैं , दिन रात मचाते ।
आरोप प्रत्यारोप, एक दूजे पर यूं ही लगाते ।

जिस राज्य की मंत्रीया हो मौन सभी,
जनमत की नीजी सिंहासनों की खातिर ।

आरोपी विषैले शर्प की भांति नगर में,
यूं हीं बेख़ौफ़ टहलते मिल जाते हैं ।

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10 JUN 2024 AT 8:12

की तेरी घर की दहलीज़ पर हर ओं मुकाम हों,

जिसकी चाहत हों हर ओं लम्हा तुम्हारे साथ हों ।

फलक पे रह कर चांद सा इतरानें का हुनर हैं तुझमें,

ऐ मेरे प्यारे दोस्त , तुम हर वक्त मुस्कुराते रहना ।

खुशियां हर वक्त, हर छड़, हर घड़ी तुम्हारे साथ हों ।

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8 JUN 2024 AT 17:41

थोड़ी दूर तों सहीं, मगर तुम मेरे साथ चल दो।

माना हमसफ़र ना सही, बस क़दम दो क़दम
तुम साथ चल दो मेरे............................

सिलसिला चन्द लम्हों का ही सहीं,

ताउम्र सज़ा लेंगे हम।

हर रात के उपरांत सुबह उठ कर,
अधूरा सा ख़्वाब सज़ा लेंगे हम।

समझ कर बस इतना,
जो कभी पूरा ना हों सका ।

अक्सर रातों को हम तन्हां
तेरी याद में आंसू बहा लेंगे ।

थोड़ी दूर तो सही,

मगर तुम मेरे साथ चल दो।

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25 APR 2024 AT 12:00

यूं तों रहते बहुत दूर हों ,

मगर बेहद इस दिल के पास हों ।

इस जहां की सारी खुशियां,

तुम्हारे पास हों ।

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15 APR 2024 AT 15:17

ख़्वाहिशें, ख़ुद्दारी, ख़िलाफत से अब बात नहीं बनती ,

और तजुर्बा कहता हैं कि अब उनसे बग़ावत कर लूं ।

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11 APR 2024 AT 11:17

घर की आँगन किलकारियों से अब भी गूंजती हैं ।

तेरी चहकने से माँ की मुस्कान पिता की शान बढ़ती हैं।

अपनी आन मान सम्मान और धर्म का मान रखना बहना,

तेरे होने से एक भाई का शीना चौड़ी,

तो बाजूओ में रक्त की प्रवाह होती हैं ।

खुश रहना हमेशा खुशियां तुम्हारी दास हैं,

जिस घर में बेटियां नहीं होती वे भाई अनाथ होते हैं।

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29 MAR 2024 AT 21:53

मन की चंचलता मन हीं न जानें ,

वन में भटकता मृग की भाती ।

व्याकुलता किस बात की ,

उम्मीदें रखें किस आश की ।

बस यह तों बहना जानें ,

समुंदर की लहरों के भाती ।

आशाओं और तृष्णा में जलना जानें,

रेगिस्तान की धूप में लौह सी तपना जानें।

मन की चंचलता मन हीं न जानें ,

वन में भटकता मृग की भाती ।

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