फिज़ाओं में इत्र की खुशबू घुल रही है
वो मेरी यादों में करीब से गुज़र रहे है ..-
इत्र की शीशी
बहुत ही एहतियात से
सहेज कर रखी है अब तक
उसकी दी हुई इत्र की शीशी।
कहीं उड़ ना जाए खुशबू
जिस तरह उड़ गई
वह बनके मेरी ज़िन्दगी।
बहुत सी आरज़ूएं दफन हैं
शीशी के गहरे तहखाने में
इतना गम कैसे समाती है यह शीशी।
बस इस बात का है इतमीनान
महका के गई जिंदगी मेरी
इस इत्र की शीशी को देने वाली।-
इत्र से कपडें महकाना
कोई बड़ी बात नहीं है जनाब,
मज़ा तो तब है जब
आपके किरदार से किसी की जिंदगी महक जाए-
इत्र से कपड़े महकाना कोई बड़ी बात नहीं है
मजा तो तब है जब आपके किरदार से खुश्बू आए !!-
मेरे कफ़न पे थोड़ा-सा
"जन्नत ए फ़िरदौस " लगा ना
सुना है उसे वो खुशबू बहुत पसंद है।
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इत्र की खूशबूओं में वो बात नहीं
जो तेरी आहटसे मेरे तन-मन को महकायें-
तेरी सांसे मेरी सांसों में घुल सी जाती है
किसी इत्र सी तेरी खुशबू मुझे मेहका सी जाती है,
ओर जनता हूं तुम मेरी नहीं हो सकती,
पर तेरा दीदार मेरे दिल को हर बार धड़का सी जाती है|-