तेरे अखलाक पता देते है , तेरी बुलन्दी का ,
तेरा झुक के मिलना बताता है की आसमाँ है तू ,,-
क्या है यह ज़िन्दगी..
बस सब... वक़्त के परिंदे हैं
कुछ हैं जमीं पे... कुछ तख़्त पे परिंदे हैं,
यह सारा आसमाँ.. है नहीं पाना मुम्किन
फिऱ भी आसमाँ में उड़ते.. हर शख़्श के परिंदे हैं,
अब किसको क्या मिला.. यह अपना अपना नसीब है
बस कुछ हैं खुले खुले.. कुछ ज़ब्त से परिंदे हैं
कुछ हैं.. कैद पिंजरे में.. कुछ दरख़्त पे परिंदे हैं!— % &-
गिरती बूंदों में जम़ी के लिए आसमां का प्यार दिखता है,
बांवरी हूँ, नजरों में आता हर चेहरा मुझे मेरा यार दिखता है।-
निशां कोई छूट न जाये अब, फैसले बह न जाये जो लिये सख़्त ..
अब जो मेरे दिल ने दिमाग के कदमों पर चलना शुरू किया है,
तो बैरी ये आसमाँ यूँ बरस कर बिखेर न जाये सब !!-
तेरे बिना ज़िंदगी का गुजारा,
ऐसे हैं जैसे,
चाँद बिना आसमान में सितारा ।
☺☺☺-
सिर्फ मैं होती तो बात अलग था...
पर
बिन तेरे ये
रेशमी सी रात...
आसमां का चांद..
सब तन्हा हैं, यहाँ..!!-
जमीं से ही नज़र आता है आसमाँ
आसमाँ ने कहाँ देखा है ज़मीं से आसमाँ
गर्ज कर गुमान मत दिखा मुझे ए-बादल
मेरे पतंग के पीछे छिपता-फिरता है आसमाँ
बुलंदी पर है तू ये जानते हैं ज़मीं के लोग
चलकर देख आए हैं यही लोग सारा आसमाँ
दंगे होते हैं ज़मीं पर ज़मीं के मेरे शहर रोज
तेरे लिए कौन ऊपर आकर झगड़ता है आसमाँ
तेरी गलियों के नज़दीक से गुज़रता है रोज
चाँद ठहरकर तेरा क्यों नहीं हो जाता आसमाँ
अपनी बुलदी से ज़मीं पर देखना किसी दिन औकात बेनाम की
पलकें बंद हुई जिस दिन आँखों में समा ले जाऊँगा सारा आसमाँ-
ख़्वाबों की जली राख को देखा तक नही...
सजने सँवरने का यूँ शौक़ हो गया है !!-
कौन अपने आसमाँ की बात दूजो से करें ,
फड़फड़ाते पर भी उड़ते नज़र आते है ।।-