ख़्वाब कोई फिर हंसी कोई दिल मे सजा लूंगा,
सोचता हूँ उसको मैं दिल से गले लगा लूंगा!
बीत जाएगी अमावस की यह काली रात भी,
गजल है वो प्यार की, मैं गले लगा लूंगा!
छेड़ती है साँस मेरी रागिनी तुम सुन लो,
धड़कने सरगम बना के, मैं गले लगा लूंगा!
बेखुदी हद से बड़ी है, हां सनम अब तो,
रोकना मत दूरियों को, मैं गले लगा लूंगा!
इश्क का दरिया हो तुम, बेशक मानता हूं,
इश्क के ठहरे समंदर में, मैं गले लगा लूंगा!
भीग जाने दो आज जज्बात तेरे मेरे ,
माफिक सावन सी रिमझीम, मैं गले लगा लूंगा!
यही गुजारिश है रब से पहले तुमसे ऐ सनम, __Mr Kashish
बाँहे फैलाए हूँ खड़ा, आ, मैं गले लगा लूंगा!
-