तू न थका है कि फ़िर हिम्मत कर तुझे और चलना है
क्या हुआ जो तू है अकेला मत लड़खड़ा तुझे और चलना है
जीवन पथ मुश्किलें डगर डगर की तुझे और गिरना सम्भलना है
तेरा साथी तेरा अकेलापन है कि मुस्कुरा तुझे और चलना है
ग़र मंज़िल नज़रों से धुँधला जाए तो आँखें मीच कर तुझे बढ़ना है
थपकी देकर स्वयं सो जाना की मन्ज़िल दूर है तुझे और चलना है
तेरा पंथी तू स्वयं है खुदका सारथी बन तुझे ही अपनी राह बनाना है
रोना मत किसी गड्ढे में गिर कर आँसू पोछ की तुझे और चलना है-
तुम...सही हो,
क्यूंकि मैंने सही माना है तुम्हें।
तुम...मेरा आत्मविश्वास हो,
क्यूंकि मैंने आत्मा का सार माना है तुम्हें।।
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हमारी खुशी
वक़्त चाहे कितनी परीक्षा ले,
हम भी दरिया को चीरते नज़र आएंगे।
अपनी मुस्कान को याद कर, वो
खुशियों का आशियाना फिर से सजाएँगे।
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उम्मीदें थी तो बहुत बैरी मुझे इस ज़माने से
मैं ऐतबार करता गया और हर कोई मुझे ठगता रहा..
इल्म नहीं था मुझे दुनियादारी का
मैं ईमानदार रहा, वज़ूद मेरा बिकता रहा..
कब सुबह हुई कब शाम मुझे पता नहीं चला
कोई नहीं आया मुझे मिलने, मैं अपनी कब्र पर ख़ुद ही रोता रहा..
तमाशा बना मेरी मज़बूरियों का पर मैं देखता रहा
लोग वाह वाह कहते रहे और अनजान मैं लिखता रहा..-
इंसान सफल तब होता है
जब वो दुनिया को नहीं बल्कि
खुद को बदलना शुरू कर देता है।
" हिमांशु बंजारे "-
चलना है मुझको एक अलग राह में
खुद के सपनों की चाह में
चाहे आंधी आए या तूफान रोके
गुजारना है मुझे अब उस राह हो के
चलते रहूंगी जब तक पाऊं ना मंजिल
क्यों कि कहते है लोग यहां सब कुछ है मुमकिन
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आत्मविश्वास से भरा हृदय निस्वार्थ होता है
वह विश्व को आत्मा मान जनकल्याणमय कार्य करता है। जो कि सदा सत् सनातन धर्म संगत
वंदे विश्व मंगलमय रहते है जिससे हर जन जन सदा आनंदमय मन अनुभव करता है।-
ओ ज़िन्दगी..
मैंने तो हर बार
"हिसाब" रखकर तुझे पुकारा
मगर तूने मेरी हर पुकार पर
"बेहिसाब" मेरी ज़िन्दगी को संवारा
हर संघर्ष पर तूने मुझे निर्भयता से संवारा
हर नाउम्मीदी पर मुझे आत्मविश्वास से उबारा
मुझे तो लगता है ज़िन्दगी तू हरगिज़ गड़बड़ नहीं
पर तुझे ऐसा कहने वालों को हर हिसाब को
गड़बड़ कहना लगता बड़ा प्यारा
या यूं कहो.....
जीवन में अब तक उन्होंने
अहोभाव को नहीं है उतारा !!!-
# # सत्य वचन # #
सार्थकता बनाई जाती है,
ये जन्मजात किसी के पास नहीं होती है।-