माना मैं तुम्हारे नए शहर की पुरानी इमारत ही सही,
लोग आज भी मुझमें अपना बीता हुआ कल ढूंढते हैं !-
बचपन से अभी तक अगर कुछ नहीं बदला तो ये है की,
हम तब भी शून्य के पीछे दौड़ते थे और भी आज भी।-
कल भी तुम्हारा इंतज़ार था ,
आज भी तुम्हारा इंतज़ार है ,
और हमेशा तुम्हारा ही
इंतज़ार रहेगा..!-
आज कुछ करना है
आज हम बेठे हैं बेकार,
घर पर कर रहें है विचार।
आज कुछ कर पाएँगे,
या घर बेठे रह जाएँगे।
करने के लिए दुनिया है बड़ा,
मन में एक सवाल है खड़ा।
कोन सा काम करें हम,
किसमे लगाएँ अपना दम।
पैरो के कदमों को बढ़ाएँ,
या पीठ मे पंख लगाएँ।
आज खाली नहीं बेठना है,
कुछ बड़ा करके ही मरना है।
एक लंबी उड़ान भरना है,
और आसमान को छूना है।
आज चुप नहीं बेठना है,
आज कुछ तो करना है।।-
आज के ख़ुशी के लिए कल को क़ुर्बान मत करो लेकिन कल जीने के लिए आज तो जीने से इंकार मत करो
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कल की तरह आज भी
दिन कुछ यूं निकल गया
सुबह ज़िम्मेदारी के बोझ तले दबे और
शाम को ख़्वाहिशों से किनारा कर लिया-
कितनी अजीब बात है न
जिन्हें बरशो तक जाना,
वँही अनजाने निकले..........-
सब कुछ हवा है? तो हवा क्या है
दर्द की दवा दर्द है तो दवा क्या है
इश्क़ को कुछ लोग मज़ा कहते हैं
इश्क़ मज़ा है तो वो मज़ा क्या है
छोड़ गया कोई तो बेवफ़ा हो गया
कभी सोचा जाने की बजह क्या है
आरज़ू ओ रजा सनम की पता है
जानते ही नही रज़ा-ए-ख़ुदा क्या है
कुल शय में बजह रखी है ख़ुदा ने
बताओ इस जहाँ में बेबजह क्या है
शायद न सच न झूठ है हर जगह
ख़ुदा के अलावा हर जगह क्या है-