तलाश .....
आखिरी तलाश की !!-
श़र्म आँखों में हो तो नक़ाब का क्या काम
श़र्म आँखों में हो तो हिज़ाब का क्या काम
खाना तो माँग कर भी खा लेगा हर इन्सान
मेहनत हाथों में हो तो सवाब का क्या काम
पैसा तो चोरी करके भी बचाया जा सकता है
ईमानदारी रगों में हो तो हिसाब का क्या काम
ज़िन्दगी जीना नहीं छोड़ते आख़िरी साँस तक
मोहब्बत आँखों में हो तो गुलाब का क्या काम
बिन लिखे भी भर जाते हैं नेकियों के "कोरे कागज़"
इज्ज़त सोच में हो तो फ़िर कलम का क्या काम-
जवानी की राख से शमशान भरे पड़े है
लोग कहते हैं...बुढ़ापे में वफ़ादारी करेंगे...!!!
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रात की आखिरी उम्मीद
जैसे हो तुम मेरी ज़िंदगी मे
हम मिले ना मिले
साथ हो ना हो
बात करें ना करें
तक़दीर जैसे भी हो
मगर मेरी ज़िन्दगी की
हर दुआ में तुम हो ।।
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एक आखिरी खत तेरे नाम करना चाहता हूं ।
बातें उसमें तमाम करना चाहता हूं ।।
हर पल के लिए तुझे भूल पाऊं।
हा! मैं ऐसा एक काम करना चाहता हूं ।।
अपनी खुशियों की प्रवाह नहीं मुझे,
बस बचे हुए गम तेरे, तेरे नाम करना चाहता हूं।।
यूं बेवड़ा नहीं बनना मुझे, बस एक जाम!
सुबह से शाम करना चाहता हूं।।
कोई भी जो ताउम्र मेरा ख्याल रखें!
मैं बची जिंदगी उसके नाम करना चाहता हूं।।-
किसी के बिना भी उसकी यादों के सहारे जिंदगी जी सकते हैं ये जाना है मैंने...
कि आखिरी मोहब्बत ही काफी होती है ताउम्र इश्क करने के लिए ये माना है मैंने...-
शीर्षक -- ।। मेरे पास ।।
मेरा ख्याल है कि एक विशेष उम्र तक ही सब कुछ अच्छा लगता है उसके बाद तो जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है अपनों की संख्या कम होने लगती है और जीवन के आखिरी क्षण में व्यक्ति अकेला ही रह जाता होगा अगर उनके पास कुछ बचता होगा तो सिर्फ कुछ अपनों की यादें,वो भी वक्त बे वक्त तंग करने के लिए।-
उसने अपनी पलकें झुका ली थी आखिरी साँस पर
और हम पागल ये मान बैठे कबूल हैं हम उसे-