QUOTES ON #आँचल

#आँचल quotes

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22 MAY 2020 AT 8:22

मन्नत के धागे, नजूमी के कौल से भी, नहीं हैं सब्र,
ख़्वाहिश करते ही टूटता तारा मिले, तो बात बने!

जिंदगी के लिए जीने की सिर्फ शिद्दत काफ़ी नहीं,
जीने की कोई खूबसूरत वजह मिले तो बात बनें!

यूँ तो मिल जाते हैं राहों में हमनवां, हमदम, अक्सर,
कोई मिले जिंदगी का हमसफ़र, तब तो बात बनें!

मिलते मुसाफ़िर अलग राहों के अक्सर ज़िन्दगी में,
कोई अपनी राह से मेरी राह पे आये तो बात बनें!

दोस्त अहबाब बहुत हैं, जो याद आते हैं खुशियों में,
कोई मिले ऐसा, जो ग़म में याद आये तो बात बनें!

पढ़ते तो सब है मेरे अल्फ़ाज़-ए-तहरीर को बेशक,
कोई तस्दीक तो करे मेरे बयान को, तो बात बनें!

यूँ तो आंसू पोंछने को मेरा अपना दामन तो है "राज" _राज सोनी
कोई अपने आँचल में ले ले अश्कों को, तो बात बनें!

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12 APR 2020 AT 20:20

बिखरा है 'अक्स' देखो , गालो पे हया के
आँचल सम्हालो अपना , पर्दे में 'इश्क़' है

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8 DEC 2019 AT 21:07

तुमपर मरकर भी जिंदा है उसके लिए इनाम रख दो
मुझे घुरने से पहले आँखों में काजल रख दो
ये खनखन का शौर किसी और को ना भा जाए
ऐसा करो अलमारी में कहीं छुपाकर पायल रख दो
मौत आती है तो कौन रखता है नजदीकियाँ जानी
अगर हो जाऊँ घायल तोअपनी झोली में घायल ही रख दो
मेरी मौत पर ज्यादा ख़र्चा करने की कोई जरूरत नहीं
पुराना ही सही मेरे बदन पर तुम्हारा आँचल रख दो
तुम्हारी खुशी ही सबकुछ है मेरे लिए हो कभी ग़म तो
बेशक मेरी आँखों में तुम्हारी आँखों के सजल रख दो
तुझे देखने के बाद ऐसा लगा जिंदगी जिनी चाहिए
इश्क़-ए-जाम पियो और सात जन्म बेनाम को क़ायल रख दो

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8 MAY 2021 AT 19:23

ऋणी हूं मैं मां का
जिसने मुझे दुनिया में लाया ।
जिसने ममता के आंचल में सुलाया,
जिसने बोलना, चलना सिखाया ।।

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31 OCT 2019 AT 20:22

फूल जब आँचल में अँगारे बन जाते हैं
फिर कपड़ों की बनती है राख और बदन जल जाते हैं

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10 MAY 2020 AT 7:26

मेहनत से सजाया जो आंगन
उसमे चलना सिखाया मां ने,
यदि गिरा सौ बार तो सौ बार उठाया मां ने ,
जलती धूप में खुद जलकर ,
आँचल में छिपाया मां ने,
हुई गलती कभी,एक थप्पड़ मार के ,
गलत राह में मत चलना ,ये सिखाया मां ने
(Read in caption)

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13 DEC 2019 AT 16:12

कविता में दर्द तुम्हारा हैं, कविता में दर्द हमारा हैं,
ढूंढोगें अगर तो पाओगे, इस में भूमण्डल सारा हैं,
ज़िसे ओंढ़ कर सो ज़ाते हो, चैन से तुम हर रातों को,
कविता उस माँ का आँचल हैं।

कविता में प्रेंम समाहित हैं, कविता जन जन का हित हैं,
कविता अनुराग भरी उतरी, कविता हर जगह खरी उतरी,
कविता ही सच की सवारी हैं, ये कविता तो जान हमारी हैं,
ज़िसको सुन कर हो जाता हैं, जीवन का हरपल आनन्दित..
कविता वो राधा की पायल हैं।

कविता वृंदा का आंगन हैं, कविता प्रेयसी का सावन हैं,
कविता का एक एक हर्फ ज़रा, देखो तो कितना मनभावन हैं,
जो नित कहते कविता क्या हैं, उन्हे दिखा दो ग्रंथ पुराणो में,
कविता उलझन की सुलझन हैं जो मन को निर्मल करती है,
कविता वो निर्मल गंगाजल हैं!

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10 AUG 2017 AT 9:45

(Read full poem in caption 👇)

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10 NOV 2018 AT 0:36

ऐ लड़की,
तुम अपना आँचल संभालो
लोगों की नीयत ठीक नहीं!

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21 FEB 2019 AT 19:25


यह आसमाँ क्यों है, सुरमई-सुरमई सा
तुमने अपना आँचल, लहराया है क्या

फ़ज़ा में घुली है महक, भीनी-भीनी सी
तुमने बालों में गजरा, लगाया है क्या

यूँ तो हो सकता है, बेईमान मौसम का
झूठा फ़रेबी सा, यह तिलिस्म कोई

पर आ रही है सदा, ढूँढती-पुकारती मुझे
तुमने अपना कँगन, खनकाया है क्या

- साकेत गर्ग 'सागा'

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