कविता में दर्द तुम्हारा हैं, कविता में दर्द हमारा हैं,
ढूंढोगें अगर तो पाओगे, इस में भूमण्डल सारा हैं,
ज़िसे ओंढ़ कर सो ज़ाते हो, चैन से तुम हर रातों को,
कविता उस माँ का आँचल हैं।
कविता में प्रेंम समाहित हैं, कविता जन जन का हित हैं,
कविता अनुराग भरी उतरी, कविता हर जगह खरी उतरी,
कविता ही सच की सवारी हैं, ये कविता तो जान हमारी हैं,
ज़िसको सुन कर हो जाता हैं, जीवन का हरपल आनन्दित..
कविता वो राधा की पायल हैं।
कविता वृंदा का आंगन हैं, कविता प्रेयसी का सावन हैं,
कविता का एक एक हर्फ ज़रा, देखो तो कितना मनभावन हैं,
जो नित कहते कविता क्या हैं, उन्हे दिखा दो ग्रंथ पुराणो में,
कविता उलझन की सुलझन हैं जो मन को निर्मल करती है,
कविता वो निर्मल गंगाजल हैं!
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