हर एक की आंखों में 'अश्क' के समंदर है,
लगता है जनाब मुट्ठी भर 'इश्क़' सभी को है...-
गलतियां करने का हक ख़ुद से मत छीन 'चेतना'
चंद अश्कों के बह जाने से आंखों का नूर कम नहीं होता!-
जो ज़िक्र ना कर सकूँ मैं मेरी कश्मकश-ए-दास्ताँ....
मेरी डायरी के पन्नों पर गिरे उन अश्कों से पूंछ लेना।-
जानती हूँ अश्क से भरी है आंखें तुम्हारी
नज़रे मिलते ही बयाँ कर देंगी ये
हर दर्द हर तक़लीफ़ तुम्हारी
मगर फिर भी चाहती हूं तुमसे
यूँ नजरे मत चुरा ।।
मुझसे आँख तो मिला
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मेरी हरकतों को तुम बचकानियां बोलते हो....
मेरी चाहतों को तुम नादानियां बोलते हो.........
कभी गौर से देखो नजरों में मेरे,,,हर अश्क तेरी मोहब्बत की किताब खोलते है.......-
अक्सर ऐसा ही होता है
जब कोई करीब होता है
तो उसकी अहमियत समझ नहीं आती
दूर जाने लगता है तो उसके एक एक लम्हें
काटों की तरहा चुभने लगते है-
होठं खामोश भी रहे तो ,धड़कती दिल की आवाज कह जाती है......
दूर रहूँ अगर जो दिल सम्भाल भी लेती मगर ,,अश्क ये मोहब्बत की छलक जाती है😧-
बरसते अश्क़ो को,
मैं दरिया में बहा आया...
बहते हुए पानी में,
मैं आग लगा आया...-