"सियासती ज़ंग राष्ट्र की"
राष्ट्र की क्या बात करें
नस्ते-नाबूत इंसानियत हो चली
राष्ट्र विकास के नाम पर
जनसत्ता की भूख राष्ट्र को है लूट रही...
धर्म के ज्वलंत मुद्दे पर जनमानस है जल रहा
कौन किलकारी सुनता अनाथ नवजात की
नेता अपनी राजनीति की रोटी है सेंक रहा
बात है अगर राष्ट्र की तो
फिर जहन में नफरत है कैंसी पल रही..?
21वीं सदी में है सब नया तो फिर
सत्ता पाने की खातिर धर्मे-ए- सियासत की जंग है कैंसी..?
गौर कर बात पर यूं ना खुद को शर्मसार कर
इंसान है यहां सभी किस बात का फिर तुझे गुमान है
मिलजुल कर रहे यहां सभी इसी में भारत माता की शान है
न पाल हिंदू मुस्लिम का बेर
मेरी मां के प्यार को तू ना बना इतना गैर
उसके दिल में सभी समान हैं
सब मिलकर रहे इसी में सबकी शान है..
जय हिंद जय भारत !-
Insta id: rachna_baluni_
Youtube channel : Rachna's voice
From: Kotdwara
village: ... read more
नारी है, तू लाचार न बन,
मत बन मूरत सच्चाई की,
दुनिया सच को नहीं मानती !
खुद को साबित करते करते,
खुद को ही तू खो देगी !
जहाँ से शुरू की थी लड़ाई,
अंत में वहीं नजर आयेगी !
नारी है ना तू हर बार दुत्कारी जायेगी !
समझदार है सारे दुनिया में,
सवाल करके तुझसे, खुद जवाब दे जायेंगे !
रहे चुप तो गुनाहगार,
दे जवाब तो अंहकारी कहलायेगी
पूछेंगे तुझसे एक सवाल,
सौ तोहमत तुझपर लगायेंगे !
तू साबित करते करते थक जायेगी,लेकिन फिर भी,
नारी है ना तू हर बार दुत्कारी जायेगी !
नारी है स्वाभिमानी बन,न बन बलिदानी, मर्दानी बन !
अधिकार न दे दुत्कारे जाने का,नारी है तू लाचार न बन !
नारी है स्वाभिमानी बन !-
ख़्वाहिशें हजार ऐंसी कि जीने को जी चाहता है
जिंदगी अज़ाब ऐंसी कि मरना वाजिब़ लगता है !-
हसरत-ए-गज़ल
फज़ल लिखूं या अज़ल लिखूं
लिखूं अहद़ या अच़ल लिखूं
चाहत़ के काटों की तल़ब को
फक़त हसरत-ए-गज़ल लिखूं
खिदमत में तेरी हो खता तो
कायल में तेरा तुझे अव्वल लिखूं
बंजर जमीन सा बारिश को तरसूं
मेरे आसमां मैं तुझे ही बादल लिखूं
हैसियत कहूं या कैफियत कहूं
गुमशुदा माही मैं तुझे जन्नत हर पल लिखूं !-
दर्द से हों रूबरू तो खत्म हो जाते हैं दर्द,
मुश्किलें इतनी पड़ी मुझ पर की जिंदगी आसान हो गई !-
तलब में तेरे इश्क़ की मयखाने तक पहुंच गए
धुत्त थे तेरे प्यार के नशे में इस कदर, कि
शराब हमारे सामने थी और हम
शराब को छूना तक भूल गए !
कस़क थी महोब्बत की,
जो दिल को जख्म इतने दे गयी, कि
उनके करार-ए-महोब्बत के बाद भी
हम दिल से उनके न हो सके !
तेरे इश्क़ में कुछ यूँ गुमनाम से रहे हम, कि
दर-बदर बेघर से फिरते रहे
बेपरदा हुई गलियों में महोब्बत हमारी
और मशहूर किस्से शायर शराबी के हो गये !
-
राष्ट्र की क्या बात करें,
नस्तेनाबुत इंसानियत हो चली
राष्ट्र विकास के नाम पर,
जनसत्ता की भूख राष्ट्र को लूट रही !
धर्म के ज्वलंत मुद्दे पर जनमानस जल रहा है
कौन किलकारी सुनता अनाथ नवजात की,
नेता अपनी राजनीति की रोटी सेंक रहा है !
बात है अगर राष्ट्र की तो,
फिर जहन में पलती नफरत है कैंसी ?
21 वीं सदी में है सब नया तो
फिर सत्ता पाने की खातिर,
धर्म ए सियासत की जंग है कैंसी !
न पाल हिंदू मुस्लिम का बेर
मेरी मां के प्यार को ना बना इतना गैर
उसके दिल में सभी समान हैं
सब मिल कर रहे इसी में उसकी शान है...!-
हर रिश्ते का कोई न कोई मतलब होता है, नहीं....
हर रिश्ता सिर्फ मतलब का ही होता है !
कुछ बातें मतलब की होती हैं, और...
कुछ बातों का सिर्फ मतलब ही रह जाता है !-
खुद पे यूं गुरूर हो गया कि शीशा चकनाचूऱ हो गया
महोब्ब़त में जो मशहूर हो गया लगता है इश्क़ हो गया !-
अल्फाज़ माँ की ममता के !
रूप निराला अद्भुत माँ का,दर्द बिछोना ओढे रहती
करूण हृदय और त्याग भाव से
हर पीड़ा आँख मूंद सह जाती
लाख छुपाती परेशानियां
लेकिन गमों के इस्तेहार तक ना लगाती !
तलाश में महफूज आशियाने की, बन परिंदा उड़ती रहती,
गर्दिशो की धूप में छाया जैंसी, शीत लहर में चादर जैंसी
छाये जब घनघोर घटा, गमों की बदली,
माँ का आंचल तब बन जाये छतरी !
जलता तपिश में दुनिया की,भोला-भाला चेहरा माँ का
सलामती में अपनों की, दुआयें रब से मांगती रहती
रिश्तों को अपनी वेंणी सी एक साथ गूंथे रखती!
लफ़्ज़ों में भी बयां न हो पाती मुझसे,
सर्वस्व समर्पित माँ की कहानी !
कहाँ अदब होगी मेरी
कह सकूं जो माँ को जबानी...!-