26 नवम्बर संविधान दिवस के अवसर पर परम पूज्य बाबा साहेब को कोटि कोटि नमन🙇♂️🙇♂️
और सभी मित्रों को सविंधान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐💐-
संरक्षण सिर्फ तालाब तक सीमित नही था,
कोशिश उनकी सागर को संरक्षित करने की थी।
और वह बस एक तपके तक सीमित नही है,
बाबा तो विश्वविख्यात है, लोकहित के वास्ते।-
महामानव
वर्ण व्यवस्था के विरुद्ध,
अम्बेडकर ने किया युद्ध,
जात-पांत से तू था क्रुध्द,
नवयुग में बना महाबुद्ध ।।
स्वतंत्र भारत का संविधान,
बनाया तू देश का विधान;
समता जिसका है आधार,
गर्व करता जिस पर संसार ।
स्वतंत्रता का किया पोषण,
जहाँ न हो किसी का शोषण,
जीने का मिला सबको अधिकार,
भेदभाव नहीं है तुम्हें स्वीकार ।
मानव अधिकारों के पक्षधर,
महामानव है तू अम्बेडकर ;
इंसान को मानता है एक समान,
सब में एक ही खून और जान।
देश का सचमुच महानायक,
जन-मन का तू बना सहायक;
समता के गीत के हो गायक,
जन-जन को बनाया जीने लायक ।
----नवीन कुमार 'नवेंदु'
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#अम्बेडकर जंयती❣️
अद्वितीय प्रतिभा के धनी, महान योद्धा, महानायक, विद्वान, दार्शनिक, वैज्ञानिक, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, लोकप्रिय राजनीतिज्ञ, समाजसेवी, देश के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माता डॉ. बाबा साहेब की जयंती पर शुभ मंगलकामनाएँ।❣️🎂❣️
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कई बार कुछ मामलों में दोषी जाँच को प्रभावित करने की स्थिति में होता है, या प्रभावित व्यक्ति को जाँच के दौरान हानि पहुँचने की आशंका होती है। उन परिस्थितियों में कई बार कानून को एक पक्ष की ओर झुककर भी फैसला करना पड़ता है। उस स्थिति में निष्पक्षता अन्याय हो जाती है।
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समाज के पतन के कई पैमाने हो सकते हैं। मेरे नजरिए से एक पैमाना ये भी है कि लोग अम्बेडकर को उनकी विद्वता के लिए नहीं बल्कि आरक्षण और राजनीतिक कारणों से पूजते हैं।
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अगर प्रेम और भक्ति से दुनियां जीतना है तो मीरा को पढ़ लें...अगर शिक्षा,एकता,सामाजिक परिवर्तन और विद्वांता को सीखना है तो भारत रत्न डॉ भीमराव अम्बेडकर जी को पढ़ लें...अगर मानवता,इंसानियत,प्रेम और विचारों के स्वर मंडित आकाश को शोकना है तो तथागत गौतम बुद्ध को समाहित कर लीजिए...!!
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अगर बाबा साहेब नहीं रहते तो,
आज जिस तरह महिला को शिक्षा,
समानता, स्वतंत्रता,
ये अधिकार नहीं होता,
सिर्फ महिलायें ही नहीं
बल्कि पुरुष, समाज को भी,
शिक्षा, समानता, सोशण के विरुद्ध
,ये अधिकार नहीं मिलता,-
अगर भगवान बुद्ध की
खुली आंखे दिखाई देती तो,
वो करुणामय आंखे आपकी
आंखों जैसी दिखती रमाई..!-
इन्होंने ही,,
भारत को महान् लिखा था,,
इन्होंने ही,,
भारत का संविधान लिखा था,,
लेकिन कुछ नादानों ने,,
इनको ही नादान लिखा था,,
भारत के इस रत्न को,,
भारत का अपमान लिखा था ।।
***राम बाबू शाह***-