Navin Kumar   (Navin kumar ( नवीन कुमार)
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Joined 26 December 2017


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Joined 26 December 2017
14 AUG AT 9:27

झारखंड की आप पहचान,
दिशोम गुरु शिबू सोरेन महान।
सन् 1944के ग्यारह जनवरी को
जन्म लिए शिबू सोरन,
रामगढ़ के छोटे से गांव नेमरा में पले बढ़े,
आपके पिता सोबरन सोरन थे शिक्षक
गांधी वादी विचारधारा के समर्थक,

आपके पिता शिक्षा का अलख जगा रहे थे,
महाजनी शोषण और अत्याचार के विरुद्ध खड़े थे,
जब तेरह वर्ष के थे शिबू सोरेन
महाजनों ने शिबू की पिता की कर दी हत्या
शिबू ने जब समझा सच
आदिवासियों को शोषण के विरुद्ध किया खड़ा
धान काटो अभियान किया शुरू
शिबू सोरेन ने किया आह्वान -उठाओं तीर धनुष
काट लो धान महाजनों के खेत से
ये खेत तुम्हारे हैं
महाजन ने ठग कर हथिया लिया है।

शिबू सोरेन का संघर्ष रहा जारी
वे जन-मन के बन गए गुरु।
आदिवासियों को दिया संदेश -हड़िया दारू छोड़ो
एकजूट तुम कहना है
अन्याय और अत्याचार के खिलाफ लड़ना है।
सन् 1971 में टूंडी विधान सभा से बने विधायक
और फिर1972में झारखंड मुक्ति मोर्चा के बने संस्थापक
अपने संगठन सोनोत संथाल समाज का उसमें कर दिया विलय।
15नबंवर 2000 को शिबू सोरेन का का सपना हुआ साकार
झारखंड ने लिया भारत के नक्शे में आकार।
आप झारखंड के तीन बार बने मुख्यमंत्री
पहली बार2005में दस दिन के लिए 2मार्च से 12मार्च
दूसरी बार2008 से 2009
तीसरी बार2009से 2010 तक।।


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23 APR AT 22:34

सुनो पाकिस्तान

सुनो पाकिस्तान!
तुम खून बहाकर
हमें डरा नहीं सकते,
खून पीकर ज़िंदा कितने दिन रहोगे?
जल बिना जीवन नहीं
खून के आंसू तुम बहाओगे
बूंद-बूंद पानी के लिए तुम तरस जाओगे।

तुम यह मत समझो
हमारा खून पानी बन गया है।
कश्मीर में गिरे रक्त के हर एक बूंद का
तुमसे हिसाब लिया जाएगा,
अपनी मौत जब तुम मरने लगोगे तो
पानी एक कतरा भी तुझे मयस्सर न होगा।

नवीन कुमार 'नवेंदु'






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22 APR AT 10:26

पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल)

धरा झेल रही हमारे गुनाहों का
दशं


आओ! थोड़ा पेड़ों से बतिया लें,
गिलहरियों का हाल-चाल पूछ लें।

रंग-बिरंगी तितलियों को ढूँढ लाएँ,
आसमान का तन-मन खिल जाए।

गौरैये-तोते- मैने-कौए कहाँ गए?
कंक्रीटों के जंगल में गुम हो गए!

कोयल की कूक नहीं पड़ती सुनाई,
बसंत आया पर सूनी पड़ी अमराई।

नदियांँ रो रही पूछे तो कोई हाल,
हवाएँ दर्द से हो रही आज बेहाल।

खेत -खलिहान होते जा रहे वीरान,
प्रगति के नाम, रचा जा रहा विनाश।

हो रहा बेजुबान पहाड़ों का विध्वंस,
धरा झेल रही हमारे गुनाहों का दंश।

नवीन कुमार 'नवेंदु'
बानो, सिमडेगा, झारखंड

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10 JAN AT 19:51

चींटियां बढ़ती चली

मिसरी की एक डली
चींटियों को मिली।
खुशी-खुशी वे चली,
राह में थी छिपकली।

चींटियां नहीं डरी,
झुंड देख छिपकली।
राह से खुद ही भगी,
चींटियां बढ़ती चली।

सर्वाधिकार सुरक्षित
नवीन कुमार 'नवेंदु'

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8 NOV 2024 AT 11:17

बालगीत
गुड़िया

एक बीत्ते की है गुड़िया,
पहने दस हाथ का लहंगा।
झमझम नाच रही गुड़िया,
सतरंगी मनभावन लहंगा।

झूले में झूल रही है गुड़िया,
टिकट नहीं इसका महंगा।
हवा-मिठाई खा रही गुड़िया,
उसकी टोपी है नीले रंग का।

साइकिल में बैठी है गुड़िया,
खेल मिला बहुत ही ढंग का।
धीरे-धीरे चल रही है गुड़िया,
साइकिल है उसके मन का।
-नवीन कुमार 'नवेंदु'
बानो, सिमडेगा झारखंड




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7 NOV 2024 AT 18:11

एक बीत्ता की गुड़िया,
दस हाथ का है लहंगा।
झमझम नाचे गुड़िया,
बहुत महंगा है लहंगा।

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4 NOV 2024 AT 19:18

व्यंग्य
चिंताराम टेंशन में

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31 OCT 2024 AT 17:17

हर ओर धरा पर जगमग दीप जले

जन-जन के मानस में दीप जले,
अंधियारे का कहीं न नाम रहे।

भारत के तन-मन नव ज्योति जगे,
भेद-भाव का तम कहीं भी न रहे।

आनंद-प्रकाश से हम जगमग रहें,
जन-जन के मानस में दीप जले।

सुख-शांति का वरदान सबको मिले,
हर ओर धरा पर जगमग दीप जले।
- नवीन कुमार 'नवेंदु'
31/10/2024

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28 OCT 2024 AT 22:32

व्यंग्य
फेसबुक की दुनिया में चिंताराम

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23 OCT 2024 AT 19:24

व्यंग्य
गुड मार्निंग का घनचक्कर

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