सुनो पाकिस्तान
सुनो पाकिस्तान!
तुम खून बहाकर
हमें डरा नहीं सकते,
खून पीकर ज़िंदा कितने दिन रहोगे?
जल बिना जीवन नहीं
खून के आंसू तुम बहाओगे
बूंद-बूंद पानी के लिए तुम तरस जाओगे।
तुम यह मत समझो
हमारा खून पानी बन गया है।
कश्मीर में गिरे रक्त के हर एक बूंद का
तुमसे हिसाब लिया जाएगा,
अपनी मौत जब तुम मरने लगोगे तो
पानी एक कतरा भी तुझे मयस्सर न होगा।
नवीन कुमार 'नवेंदु'
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पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल)
धरा झेल रही हमारे गुनाहों का
दशं
आओ! थोड़ा पेड़ों से बतिया लें,
गिलहरियों का हाल-चाल पूछ लें।
रंग-बिरंगी तितलियों को ढूँढ लाएँ,
आसमान का तन-मन खिल जाए।
गौरैये-तोते- मैने-कौए कहाँ गए?
कंक्रीटों के जंगल में गुम हो गए!
कोयल की कूक नहीं पड़ती सुनाई,
बसंत आया पर सूनी पड़ी अमराई।
नदियांँ रो रही पूछे तो कोई हाल,
हवाएँ दर्द से हो रही आज बेहाल।
खेत -खलिहान होते जा रहे वीरान,
प्रगति के नाम, रचा जा रहा विनाश।
हो रहा बेजुबान पहाड़ों का विध्वंस,
धरा झेल रही हमारे गुनाहों का दंश।
नवीन कुमार 'नवेंदु'
बानो, सिमडेगा, झारखंड-
चींटियां बढ़ती चली
मिसरी की एक डली
चींटियों को मिली।
खुशी-खुशी वे चली,
राह में थी छिपकली।
चींटियां नहीं डरी,
झुंड देख छिपकली।
राह से खुद ही भगी,
चींटियां बढ़ती चली।
सर्वाधिकार सुरक्षित
नवीन कुमार 'नवेंदु'
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बालगीत
गुड़िया
एक बीत्ते की है गुड़िया,
पहने दस हाथ का लहंगा।
झमझम नाच रही गुड़िया,
सतरंगी मनभावन लहंगा।
झूले में झूल रही है गुड़िया,
टिकट नहीं इसका महंगा।
हवा-मिठाई खा रही गुड़िया,
उसकी टोपी है नीले रंग का।
साइकिल में बैठी है गुड़िया,
खेल मिला बहुत ही ढंग का।
धीरे-धीरे चल रही है गुड़िया,
साइकिल है उसके मन का।
-नवीन कुमार 'नवेंदु'
बानो, सिमडेगा झारखंड
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एक बीत्ता की गुड़िया,
दस हाथ का है लहंगा।
झमझम नाचे गुड़िया,
बहुत महंगा है लहंगा।
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हर ओर धरा पर जगमग दीप जले
जन-जन के मानस में दीप जले,
अंधियारे का कहीं न नाम रहे।
भारत के तन-मन नव ज्योति जगे,
भेद-भाव का तम कहीं भी न रहे।
आनंद-प्रकाश से हम जगमग रहें,
जन-जन के मानस में दीप जले।
सुख-शांति का वरदान सबको मिले,
हर ओर धरा पर जगमग दीप जले।
- नवीन कुमार 'नवेंदु'
31/10/2024-