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जीवन का हर पल याद रखिए,मगर जहन में सिर्फ वहीं उतारिए जो जीवन के लिए सार्वभौमिक हो,इसलिए कभी कभी उदास होना अच्छी बात है किंतु उदासीनता जीवन में उतारना बिल्कुल गलत....।।
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झीलों ने माना उथलापन अपना
उसकी आंखों में गहराई बहुत है
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- देशपाल देशहित*-
"" लोकतांत्रिक देश भारत एवम् विश्व के सबसे बड़े सर्वोच्च सर्वश्रेष्ठ "संविधान" दिवस के अवसर पर सभी भारत वर्ष को अनेकोनेक असीमित अप्रतिम अशेष शुभकामनाएं, भारत गणराज्य का संविधान 26 नवम्बर 1949 को बनकर तैयार हुआ था, भारत के महान संविधान को 2 वर्ष,11 माह,18 दिन में पूरा कर राष्ट्र को समर्पित किया,एवम् भारत गणराज्य में 26 जनवरी 1950 से संविधान अम्ल में लाया गया । संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष एवं रचयिता एवम् देश के युगपुरुष महानायक महापुरुष भारत रत्न बोधिसत्व डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी के 125 वें जयंती के रूप में 26 नवम्बर 2015 से संविधान दिवस मनाया गया । देश के बंचित,असहाय,पीड़ित,बिछड़े लोगों को शिक्षा का हक अधिकार,महिलाओं के शोषण के प्रति न्याय की परिकाष्टता, समानता का अधिकार, देश के प्रति जातीय,सांस्कृतिक ,लैगिंग,धार्मिक, एवम् देश की एकता और अखंडता की स्वरूपता,भारतीय संविधान को नमन....पुनः युगपुरुष महानायक महापुरुष भारत रत्न बोधिसत्व डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी को कोटि - कोटि प्रणाम नमन वंदन...!!
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- देशपाल देशहित*-
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*एक क्षण होता है जब हम यार दोस्तों के सानिध्य में जीवन व्यतीत करते हैं, एक क्षण वो होता है जब हम अलग अलग हो जाते हैं,और फ़िर एक क्षण वो होता है जब नए परिक्षेत्र में प्रवाहित हो जाते हैं,जीवन के कालचक्र के सागिर्द में हम उसी तरह चलते हैं जैसे किसी गाड़ी का पहिया,और यह पहिया तब तक चलता रहेगा जब तक जीवन व्यतीत है,कौन क्या कहता है,कौन कैसे रहता है,कौन हमारी उलाहना कर रहा तो कौन हमारी सराहना,कौन हमें हमारे अपनों के प्रति उकसा रहा तो कौन हमें सहानुभूति दे,यह हम तभी समझ पाएंगे जब अपनों के प्रति प्रेम की प्रगाढ़ता में होंगे,या फिर निस्वार्थ और समर्पित भाव की भावना....तो फिर अच्छा सोचें अच्छा करें और दुनियां की लाखों हिदायतों से अच्छी है अपनी खुद वो एक बात जो सुकून लाए।।।*
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❣️🌸 *- देशपाल देशहित**-
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जोड़ के तुम्हारे साथ अपना नाम
और फिर तुम्हें जिंदगी बना लिया
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- देशपाल देशहित*
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हम रूठ जाते हैं किसी से क्योंकि कोई हमें हमारी अपेक्षाओं के अंतराल में नहीं मिला,हम बहुत आहत (दुखी) हुए इसलिए कि किसी पर्याय पर हम सफ़ल नहीं हुए, हम बहुत उदास हुए कि कोई हमें समझने की कोशिश क्यों नहीं कर रहा....पर एक बार के लिए यह भी सोचो की हम रूठे क्योंकि कोई हमारी अपेक्षाओं के तहत नही था पर यह भी हो सकता कि हम उसकी उपेक्षाओं के तहत नहीं हुए, हम दुखी हुए क्योंकि असफलता हाथ लगी पर यह भी की हमने द्वारा प्रयास करना उचित नहीं समझा,हम उदास हुए कि कोई हमें समझने की कोशिश क्यों नहीं कर रहा पर क्या हमने किसी को समझने की कोशिश की...??
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- देशपाल देशहित*-
विश्व पुस्तक दिवस
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जिन्होंने खोले जिंदगी की
सफलता के द्वार
जिनके साए तले मिला
जीवन को आधार और
आदर की महत्ता
समानता, एकता, मानवता
को शिखाकर
सच में इन किताबों ने
हमेशा अच्छा इंसान
बनने की हिदायत दी
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- देशपाल देशहित*-
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हमारे पास वक़्त बहुत कम होता है
यह बताते हुए भी वक़्त निकल रहा
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- देशपाल देशहित*
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दोस्ती के दरमियां
कभी भी एक दूसरे से
बहस ना करें
अक्सर बीते लम्हों की
महक मैली हो जाती है।
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- देशपाल देशहित*-