इंसान अपाहिज तब नहीं होता
जब शरीर साथ न दे,
वो अपाहिज तब होता है जब
सोच अपाहिज होती है !-
नींद ..
अपाहिज हो चली है .. जबसे
..
मैंने .. किसी पुराने टूटे हुए खिलौने की तरह
अलमारी में .. संभाल कर रख छोड़ा है .. इसे
अब इसे .. पुराने एल्बम के साथ देखा जाता है
या बचपन की .. किसी याद की तरह
याद कर लिया जाता है
त्यौहारों में घर की सफाई में ..
ये आंखों में उतर जाती है
बारीक़ मिट्टी के कण की तरह
आँखों को लाल कर जाती है
रातों को खारा कर
बेचैनियाँ तोहफ़े में दे जाती है
..
नींद ..
अपाहिज हो चली है .. जबसे-
तुम्हारा मुकर जाना मेरे प्रेम पे वह तमाचा है जिसे मैं जीवन में शायद मरते दम तक ना भूल पाऊं,साथ ही साथ मुझे ये सीख हमेशा याद रहेंगी कि स्त्रियों के सपनों में हमेशा राजकुमार ही आते है मेरे जैसे अभागे नहीं।
-
उसको ही याद करना और कोई ना काम करना !
देखो ना इश्क़ ने हमे अपाहिज बना रखा हैं !!-
है मैंने
किसी के ऊपर बेहद विश्वास किया।
जिसे समझता था अपना हाथ पैर
उसी ने मुझे अपाहिज किया।-
सोच क्या बीती होगी उस लड़के पर
जिससे तुमने ये कहा की तेरे जैसे अपाहिज़ को कोई लड़की अपना जिस्म चूमने नहीं देगी।।
किस हद तुम्हारी इस बात ने उसके ह्रदय को घात पहुंचाया होगा तुम कभी नहीं समझ सकती।।-
इश्क़ने अपाहिज बनाया है ग़ालिब,
वरना दुश्मनी निभानेमें चुटकियां लगती है...-
इश्क़ने अपाहिज बनाया है ग़ालिब,
वरना दुश्मनी निभाने में कोई हुनर नहीं-