Diwakar Yaduvanshi   (भारती)
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Joined 12 February 2018


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21 MAY AT 9:38

तो क्या होता जो हम साथ होते,
मेरी अलमारी तुम्हारी कपड़ों से भरी होती है
तुम सुबह गीली जुल्फों को झटकते हुए मेरे गालों को चूमते हुए मुझे जगाती,
मैं अंगड़ाइयां लेता तुम्हारे माथे को चूमता।
यह मेरे ख्वाब जो हो सकते थे पूरे, पर रह गए अधूरे।।

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9 MAY AT 12:36

कुछ सवाल हैं जो बेकार है,
पर करने जरूरी है

वो जिसके गले में तुम वरमाला पहना रही हो वो तुम्हारा होने वाला पति है,
तो मैं कौन था जिसका दिया मंगलसूत्र तुम पहना करती थी?

वो जिसके लिए तुमने अपनी मांग सुनी कर ली
ताकि वो सिन्दूर भर सके तुम्हारी मांग में,
तो फिर मैं कौन था?
जिसके नाम का सिन्दूर तुम्हारे मांग पर 7 साल रहा ।।
हाथ कब कब कांपे तुम्हारे ??
सिंदूर पोछते वक्त
या फिर वरमाला डालते वक्त ??
क्या हुई तुम्हारी बदन में सिहरन उसके छूने से??
क्या तुम खुश थी उसके छूने से??
ये मेरे बेकार से सवाल हैं,
जो तुम्हे लगते ख़राब हैं,
पर सच बताओ क्या तुम्हारे पास इनके जवाब हैं??

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8 MAY AT 21:22

मैं भी बहुत अज़ीब हूं
इतना
की बीवी की दूसरी शादी देख रहा हूं
और मलाल भी नहीं।

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6 MAY AT 13:23

अब और कितने इल्ज़ाम लगाएं जाएंगे मुझ पर?
कोई उसे समझाए उसकी खुशियां अज़ीज़ थीं मुझे
इसीलिए चुप हूं,
वरना बात मेरे "मान" की थी
एक पल में तबाह कर दूं उसकी पूरी जिंदगी।

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2 MAY AT 21:43

किसी कुम्हार (मूर्तिकार) से प्रेम की सबसे बड़ी सज़ा ये होती हैं
जब वो आपको तराशते हैं तो बेहतरीन बना देते हैं
अगर जो आप उसे पसंद नहीं आते तो इस तरह मिट्टी में मिला देते हैं जैसे कि आपका कभी वजूद रहा ही न हो।।

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28 APR AT 18:06

हमारे बिछड़ने की
हम दोनों की अपनी कहानी है
तुम्हारी कहानी मैं बुरा हूं
मेरी कहानी में तुम मेरे सबकुछ हो
बस फ़र्क बस इतना है कि तुम कहीं और ख़ुश हो
इसलिए तुम्हें मैं और ज्यादा बुरा दिखता हूं इसलिए
कुबूल करता हूं मै तुम्हारी सारी दी हुई बद्दुआएं,
मैं कहूंगा अपने ईश्वर से तुम जहां भी रहो खुश रहो और बेहद खुश रहो।

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25 APR AT 8:14

मैंने लिखना शुरू किया
क्योंकि मैं दर्द में था और
मैं बस इसका वर्णन करना चाहता था।
लेकिन कुछ वक़्त के बाद मुझे एहसास हुआ
कि जिस दर्द का मैं वर्णन कर रहा था वह व्यर्थ था।
क्योंकि यह मुझे अंदर से नष्ट कर रहा था और
मुझे एक जानवर में बदल रहा था।

मैंने सोचा कि प्यार वह चीज़ है जो मेरे लिए नहीं बनी है।

इसलिए मैंने कविताओं के माध्यम से अपनी दुनिया बनाई।

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22 APR AT 10:40

लिहाज़ किजिए मेरे "मौन" का
ये चुप्पी आपकी इज्ज़त बचाएं हुऐ हैं।।

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21 APR AT 21:46

वो लोग दूर रहे मुझसे जो मुझे छोड़ कर जा चुके हैं
मैंने आपको पूरी शिद्दत से यकीन कराया है,कि हम बुरे हैं।

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17 APR AT 8:30

तुम इस भ्रम में रहना की तुम्हारा दूसरा साथी सच्चा है,
जो कभी उसकी सच्चाई तुम्हें मालूम हुई ये मुमकिन है,
तुम्हें मुझे छोड़ जाने का पछतावा होने लगे।।

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