फिर मेरे जहन में वो बीती बातें आ रही है,
मशरूफ हूं फिर भी तेरी यादें आ रही है।
तुझसे बिछड़कर जिया तो मैंने ये जाना,
कैसे हंसते चेहरे ज़िंदा लाशे बनती जा रही है।
मैं जो हो रहा हूं ख़त्म आहिस्ता आहिस्ता, तेरा क्या?
मेरे मां-बाप की उम्र भर की कमाई जा रही है।
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कितनी अजीब विडंबना बना है
मर्द औरतों के लिए महाभारत तक कर बैठे
अब अक्सर औरतें कहती है उसे पुरुषों की जरूरत नहीं।-
ये आस्तीन के सांप क्या ही बिगाड़ लेंगे मेरा,
किसी दौर में इनसे जहरीली नागिन के होठ चूमा करता था मैं.!-
तू आ पास बैठ मेरे
अपने कोमल हाथ मेरे सीने पर रख
महसूस कर ये धड़कन जो आज भी
तेरे छूने से तेज़ हो जाती हैं।।-
बहुत ज़िद्दी है हम दोनों,,
तेरी ख्वाइश मैं तुझे पुकारु,,
मेरी चाहत ये, तू आके मुझे सीने से लगा जा।।-
मेरी अस्थियों को सिंदूर बना के जो मांग भरा है तुमने अपना,,
ईश्वर तुम्हें सदा सुहागन रखे !!-
अनमोल थे वो सभी पुरुष
जो अपने निश्छल प्रेम में तिरस्कार पाकर भी
बिना कोई दुर्व्यवहार किये
अपने सर्वप्रिय के जीवन से अदृश्य हो गए ॥-
वो मेरा वजूद है
अक्स थोड़ी है
मेरे लिए पूरी कायनात है
एक शख़्स थोड़ी है...
दिले- ए - नादान ना बन उसे तुझसे कोई मोहब्बत नहीं
तूने अपना दिल खुद तोड़ा है
उसने कब कहा कि उसे तुझसे मोहब्बत है ...
मत रख उम्मीद -ए-मोहब्बत वो भी टूट जाना है
उसने कहा ना उसे तुझसे मोहब्बत नही।।-
जो बात मैं पी गया था,
वो बात खा गई मुझको...
साँसों में घुटन भर गई,
अंदर ही अंदर,
खत्म कर दिया मुझको।
तभी एहसास हुआ,
कैसे...
अंतर्मन में चला संघर्ष, वाकई "जान लेवा" होता है...
अब सोचता हूं, चुप रहना शायद हल नहीं,
क्योंकि...
जो बात मैं पी जाता हूँ,
वो बात, हर बार खा जाती है मुझको..!!-
पहली बार गिड़गिड़ाने से सूख जाते है "शब्द"
दूसरी बार में “आँसू"
और तीसरी बार के बाद सूख जाते है "भाव"
फिर, इस तरह मेरा संभल जाना ही, इस कहानी का अंत रहा...!!!-