हर रोज दरवाजे के नीचे से सरक आती हैं
सारे जहान की खबरें.
एक उनका ही हाल जानना इतना मुश्किल क्यों है...!!
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मुस्कुराने से भी होता है दर्द ए दिल बयां
किसी को रोने की आदत हो ये ज़रूरी तो नहीं-
Adhuri Khwahish Shayari...
ख्वाहिशें-ए-जिन्दगी बस इतनी सी है मेरी,
कि जिन्दगी शुरू और खत्म हो तुझपर मेरी.
दिल की ख्वाहिशें भले ही अधूरी हो,
पर चेहरे पर मुस्कुराहट पूरी हो.
पूरी जिन्दगी न जाने मैं क्या चाहता रहा,
कुछ अधूरी ख्वाहिशों को मैं पालता रहा.
ख्वाहिशें कुछ कुछ यूँ भी अधूरी रही,
पहले उम्र नही थी, अब उम्र नही रही.
न जाने कौन सी ख्वाहिश
पूरी होने की आस करते है,
हर दिल में भगवान है,
पर बाहर जन्नत की तलाश करते हैं।।-
मुझे नाराज़गी इस बात से है कि तुम्हे किस बात की नाराज़गी अपने आप से है ....!!
यूं तो भागती हो जमाने भर की ख्वाहिशों का टोकरा लिए सर पर ...!
कभी ज़रा पुरानी तस्वीरों से निकालकर खुद को झाड़ भी लिया करो ...!!-A.r-
एक बार
ढेरों बातें भी करनी थी
कुछ पल तेरे साथ जीने की तमन्ना थी
जानती थी हमारा साथ नहीं है मुमकिन
फिर भी बस कुछ कदम तेरे साथ चलने की ख्वाहिश थी
तू ख्वाब है या हकीकत ये जानना चाहती थी
तुझे छू कर महसूस करना चाहती थी
पर नहीं जानती थी
ये वो ख्वाब है जो कभी मुकम्मल नहीं होगा
तू कभी हमसे रूबरू नहीं होगा
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कुछ ख्वाब ऐसे जरूर होंगे जो मुकम्मल नहीं होते ताउम्र
मरने के बाद भी खुली इन आँखों का कुछ तो राज होता होगा-
वक्त गुजरा है......
ज़िदंगी का गुज़रना बाकी है
कुछ कहना बाकी है
कुछ सुनना बाकी है
इक रोज़....
आँखे बर्फ सी जमी होगी
शायद थोड़ी नमी होगी
कुछ ख्वाब ,ख्वाहिशे बाकी है
कुछ पा लिया अभी
बहुत कुछ पाना बाकी है......
इक रोज़ चले जाएंगे...
शायद लौटकर न आएंगे..
छंद कुछ अलंकार बाकी है
ज़िदंगी अभी कुछ बाकी है
वक्त गुज़रा है......
ज़िदंगी गुज़रना बाकी है...
नफ़रते है दिल में अभी
इश्क से मोहब्बत होना बाकी है....👇👇👇
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काश... कोई मेरी लाइब्रेरी में भी घुसपैठ करता,
करके यौवन का पसीना-पसीना हमकों पढ़ता !!
काश...कोई हमारी लाइब्रेरी की पन्नों को चूमता,
करके मदहोश हमें उंगुलियों से कुछ लिखता !!
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हर ख्वाहिश में बसा हैं तुं, फिर भी हर ख्वाहिश अधूरी मेरी,
तेरी चाहतों के सदके मैं,फिर भी हैं हर चाहत अधूरी मेरी।-