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अशेष_शून्य
(Anjali 💙 Rai)
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किसी
जाति , धर्म व विचार की परिसीमा से मुक्त...।
अपनी मातृभूमि का एक छोटा हिस्सा किन्तु
मा... read more
जाति , धर्म व विचार की परिसीमा से मुक्त...।
अपनी मातृभूमि का एक छोटा हिस्सा किन्तु
मा... read more
Joined 8 May 2020
31 JUL AT 22:21
तनख्वाह तन खा जाती है और मन भी , किसी ने शाम को कहा मैं बिना उत्तर दिए ही लौट आई अब लग रहा कितना सच है ये जिस बड़े छोटे शहर में हम रहते हैं सपने और जिम्मेदारियों के पीछे वो हमेशा सवालों से घेरे रहता है हमें । अजनबी लोगों के बीच हम अपनों को ढूंढते हुए कब इतने बड़े हो जाते हैं कि छोटी बड़ी बातों का , लोगों का फर्क पड़ना ही बंद हो जाता है
यहां अक्सर मजाक के नाम पर अविश्वास दिखाते लोग और उनके सवाल आप किस ओहदे पर हैं कितना कमाते हैं बस इसलिए कि वो तय करना चाहते हैं कि खुद को आपके साथ कैसे बरतें ख़ैर
न कभी हम शहर को अपना पाते हैं और ना शहर हमें ....... पर अंत तक बचाए रखने की कोशिश ही जीवन है न..... उम्मीदें बचाए रखिए 💐-