अच्छा लगता है मुझे,
उन लोगो से बात करना...,,
जो मेरे कुछ भी नही लगते,
पर फिर भी मेरे बहुत कुछ है..!!-
चुन लेना चाहिए अच्छे और बुरे में,
बुरे को कभी-कभी..
(full in caption)-
गंगा में डुबकी लगाकर तीर्थ किए
हजार,
इनसे क्या होगा अगर बदले नहीं विचार।
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अब अच्छा क्या? और बुरा क्या है?
ज्यादा बातें करना पसंद नहीं उसे,
अब खुदा ही जाने
आखिर उसकी रजा क्या है?-
बादलों से निकलता हुआ तो सबने देखा होगा....
हमने गली से गुज़रते हुआ चांद देखा है...-
इतना ही नहीं चाहता कि बस एक पहचान बन जाए
तो अच्छा है
मेरी मेहनत कहती है हर दीवार-ओ-जुबां पर बेनाम बन जाए
तो अच्छा है-
हर रोज़ एक गुनाह मेरे हाथ से हो जाता है
उसके बाद किया हुआ कैसे अच्छा हो जाएगा
भूख से तड़पता रोज़ एक गरीब को देखता हूँ
उसके बाद खाया हुआ कैसे अच्छा हो जाएगा
रास्ते से जाते हुए गंदी नदियों को देखता हूँ
उसके बाद पिया हुआ कैसे अच्छा हो जाएगा
हर जगह बस गंदी बातें और गालियाँ जो देता हूँ
घर में किया हुआ सज़दा कैसे अच्छा हो जाएगा
इबादत सिर्फ़ दिल से ही होती है ये जानता हूँ मैं
दिखावट के लिए सदक़ा कैसे अच्छा हो जाएगा
"कोरे कागज़" के गंदे टुकड़े हर जगह पड़े देखता हूँ
खुद साफ़ किया हुआ घर कैसे अच्छा हो जाएगा।-
दिखावटी अच्छाई से तो खराब अच्छा है,
नशा-ए-हुस्न से तो शराब अच्छा है...!!-
अजीब सी सज़ा देकर बैठे हो
चुप बैठे हो
तुम्हें अच्छा नहीं लगता अगर हमसे बात करना
तो इतने भी क्यों क़रीब बैठे हो-