अग्नि से उठाया न गया, और शवों का भार
जल को करना पड़ रहा, अब अंतिम संस्कार-
दिल ने दिल पर वार कर दिया,
कितनी सफ़ाई से कहा उसने,
"हमने तेरी यादों का
अंतिम संस्कार कर दिया।"-
प्रकृति ही प्रकृति का दे रही साथ
अग्नि जल- जल कर थक गयीं अब
जल की धारा ने थामा अब हाथ-
Pehle pyar ko kabhi bulaya nhi jaya
Umeed ka deepak kabhi bujaya nhi jata
Keh to dety hai bhula diya hai tujey
Pr teri yadoon se picha chhudaya nhi jata-
माँ मेरा क्या कसूर था मेरा लड़की होना कसूर है माँ
माँ मुझे बहुत तकलीफ औऱ घुटन हो रही है क्यों बार बार मुझे बलात्कार हुआ बोल बोल कर लोग मुझे इस सारे जहाँ में उछाल रहे है क्यो माँ मेरे मरने पर नेता लोग अपनी राजनीति कर रहे ऐसे न्याय मिलता है क्या माँ
नही चाहिये ऐसा न्याय जहाँ रोज मेरे नाम पर राजनीति होगी और मेरा नाम एक बेचारी बन कर रहा जायेगा माँ
माँ उन जाहिलो ने इतना दर्द नही दिया जितना मेरे मरने के बाद ये समाज दे रहा है कोई मुझे दलित की बेटी तो कोई मुझे क्या बोल रहा है माँ में तेरी बेटी हु इन लोगो ने मुझे एक जाती से जोड़ दिया माँ में तो चली गई माँ अब तू अपनी दूसरी बेटियों की रक्षा करना माँ
मुझे तो इन दरिंदो ने नोंच खाया है पर माँ मेरा अंतिम संस्कार तो कर देती क्यो अंधेरी रात में मुझे जला दिया उनकी हेवानियत तो दिख गई थी पर तुम इंसानो की इंसानियत भी मर गई माँ बताना माँ मेरा क्या कसूर था
माँ आज पता है मुझे उन दरिदों ने नही इस समाज ने मारा है माँ मेरे दिल मे बहुत दर्द है बस बयाँ नही कर सकती हूं माँ अब आगे ऐसा किसी बेटी के साथ नही हो बस इतना ही बोलूँगी माँ तेरे देश की बेटी का क्या कसूर था माँ मेरा क्या कसूर था 🙏🙏
✍️✍️ सोनेश यादव-
बयां नही हो सकता वो मंजर,
जब टुकड़ों को दी होगी अग्नि,
एक बाप, भाई या बेटे ने।-
हमसफ़र ऐसे भी
देखो ना जैसे साथ शुरू किया था सफर।
आज उसी पथ पे हूं मैं तुम्हारे साथ।
मैं तुम्हारी चिर संगिनी हमेशा।
दर्द की,तुम्हारी थकावट की,कर्म की,रण की,नींद की।
चले थे तुम तो पैर मेरे दुखे थे।
छाले इन पैरों में मेरे पड़े थे।
देखो ना, अग्नि के सामने विवाह संस्कार में मन ही मन जो बुदबुदाया था वादा।
वहीं वादा तो हमने निभाया है।
आज साथ हैं।
जीवन के अंतिम संस्कार में भी।।
समीक्षा द्विवेदी-
ना जल की गलती है और ना गलती में शामिल अग्निदूत
यह मनुष्यता का दानव अवतार बता रहा अपनी करतूत-