* बड़ी बे-अदब हैं
जुल्फ़ें आपकी...
हर वह हिस्सा चूमती
जो ख़्वाहिश है मेरी...।*-
Woh tera muskura kar jana
Mumkin h mera fida ho jana
Zulfon ka teri yun lehrana
Mumkin h mera fannah ho jana
💝💖💝-
*वो माथे पर काला तिल सजाये बैठे हैं
खूबसूरत आँखों के जाम छुपाये बैठे हैं
उनके होंठो की लाली क़यामत ढा रही है
अज़ी फिर भी वो ह्या का पर्दा लगाये बैठे हैं
ज़ुल्फ़ें लहराकर उनके गालों को चूमती हैं
पायज़ेबे छनक कर इस दिल में गूंजती हैं
वक़्त-बे-वक़्त अब हमें वो सताये बैठे हैं
फिर भी जाने क्यों उनसे दिल लगाये बैठे हैं
झुकी निगाहों में वो कई राज़ छुपाये बैठे हैं
होंठ लरज़ रहे हैं हमसे कुछ कहने को और
वो अपने ही दांतों तले उनको दबाये बैठे हैं।*-
jo tum apni Chehre se ZULFEN nahi hataogi
to kaise main apni NIGAHEN tum per se hataunga
ISHQ hona LAAZMI hai pagli
or tum kahti hao Ladke ghurte hain mujhe
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आँखों का तेरी मुझ'को, काजल ही बहोत है ।
इन रेशमी ज़ुल्फ़-ओं-का आँचल ही बहोत है ।।-
तुम्हें देखूं... तुम्हें छू लूं... या संवार दूं जुल्फ़ें तेरी...
के तुम पास तो नहीं मगर करीब बहुत हो...-
बदल रहा मिजाज-ए - मौसम,
यूं ना जुल्फें लहराया कर ।
इठलाने लगेगी चांद अपनी चमक पर
यूं ना चमक लुटाया कर ।
कहीं डूब ना जाऊं तेरी झील-सी आंखों में ,
आंखों पर काला चश्मा लगाया कर ।
क्या खूब लगती हो जरा - सी मुस्कुराने से ,
यूं ही हमेशा मुस्कुराया कर ।
यूं तो आजमाने की आदत नहीं तेरी,
पाओगी करीब तुम अपने,ख्वाब में ही सही मुझे आजमाया कर ।
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Yun udi unki zulfien
Ki hum saans lena bhul gaye
Kambakt ishq na ho jaaye
Ki deedar ho jab chehre ka
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Ye Khuli Khuli Si Zulfein, Inhe Lakh Tum Sawaron,...
Jo Mere Hath Se Sawarti, To Kuch Aur Baat Hoti...-