simran khan   (मलाल)
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Ek musafir 🐾
Joined 27 May 2020


Ek musafir 🐾
Joined 27 May 2020
30 AUG 2021 AT 15:56

एक नदी के दो किनारे हैं.....जो कभी नहीं मिल सकते...!!

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15 JUL 2021 AT 20:52

ना अश्कों की ख़बर होती , ना ख़्वाबों का पता होता
तुझे देखा नहीं होता, तो इन आँखों का क्या होता।

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15 JUL 2021 AT 16:01

बिछुड़ते वक्त़ उसको फि़क्र क्यों थी
बसर करनी तो मेरा मसला था 🙃

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15 JUL 2021 AT 15:25

उसके बिना इक ख़लिश सी रहती है
मेरे ख़्वाबों में इक तपिश सी रहती है

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15 JUL 2021 AT 14:15

फिर उसके बाद मैंने कुछ नहीं खोया
वो मेरी ज़िंदगी का आख़िरी नुक़सान था।

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15 JUL 2021 AT 14:02

इक सवाल पूछना था
कि..........
कितने दिनों की इद्दत काटनी पड़ती है
जब इश्क़ तलाक़ दे देता है .....??

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27 FEB 2021 AT 9:05

तीरगी ही तीरगी हद्द-ए-नज़र तक तीरगी

काश मैं ख़ुद ही सुलग उठूँ अँधेरी रात में

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21 AUG 2020 AT 17:47

उसकी दुआँए तो हासिल हैं ही मुझे
चाहिये तो उसकी नमाज़ के दम का तबर्रूक जाना!

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19 AUG 2020 AT 23:31

साँस भारी है , जिस्म हल्का है
आज का नहीं , ये दर्द कल का है

अश्क सूखे हैं, जुबाँ कटी पडी़ है
जिस्म के लम्स से आज फिर ख़ून छलका है

धूप आई है "मलाल" अरसे बाद चेहरे पर
खिड़की का आज मेरी, हवा ने परदा ढलका है!

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19 AUG 2020 AT 21:49

कई सालों बाद मैंने आज
अपना सँदूक खोला तो
बीच में दबी हुई
चंद तो नहीं...!!!
काफ़ी तस्वीरें
मुझे आवाज़ दे रहीं थीं
कि आ.....!!!!!
ले चलूँ तुझे उस दुनिया में
जो.........
'तेरी जवानी की दुनिया है
तेरे "दोस्तों" की दीवानी सी दुनिया है'
धुँधली आँखों से
साफ़ तस्वीरों को देखा, तो...!!
चंद आँसू गिर पडे़
और.....!!!
बेतहाशा यादें आँखों में तैरने लगीं
अचानक बाहर जो निगाह डाली
तो, शाम मुस्कुरा रही थी,
परिंदे आशियानों को लौट रहे थे
"और मैं 'रोते-रोते हँस पडी़' "..!!

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